वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 - भारत का फ़िर पिछड़ना चिंताजनक, संदेहजनक

 वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 - भारत का फ़िर पिछड़ना चिंताजनक, संदेहजनक 

Global hunger index 2022

भारत को वैश्विक मंचों पर भुखमरी मिटाने संबंधी चलाई जा रही योजनाओं को प्रसारित करना समय की मांग 

वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 में भारत का छोटे देशों से पिछड़ना हैरानी चिंताजनक और संदेहजनक - हमें अपने आंकड़ों और स्थिति के बल पर जनजागृति लानी होगी - एडवोकेट किशन भावनानी  

गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जनसंख्यकिय तंत्र और सबसे बड़ा लोकतंत्र है जहांसंस्कृति सभ्यता समृद्धि खुशहाली का जीवन सदियों से जिया जाता है। हालांकि कुछ कमियां अपवाद हर देश में होते हैं परंतु मेरा मानना है अन्य अनेक देशों से भारत के मनीषियों का जीवनस्तर बेहतर है। अमीर तो अमीरी में पर गरीब भी अपनी गरीबी में बड़े खुश हैं। बड़े बुजुर्गों का कहना है ऊपरवाला परवरदिगार हर मनुष्य को भूखा उठाता है पर कभी भूखा सुलाता नहीं, यह वास्तविकता कई बार कई स्थितियों में हम देख चुके हैं कि कहीं ना कहीं से करिश्माई खेला हो जाता है और भूखों को भोजन की व्यवस्था हो जाती है।हालांकि कुछ अपवादों से भी इनकार नहीं किया जा सकता।16 अक्टूबर को हमने अंतरराष्ट्रीय खाद्य दिवस मनाए और अभी एक दिन पूर्व ही में आई वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 ने भारत को हैरान कर चिंता बड़ा दिया है इसलिए आज हम मीडियामें उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 में भारत का पिछड़ना कहीं ना कहीं संदेह को जन्म देता है। 

साथियों बात अगर हम सूचकांक 2022 में फ़िर पिछड़ने की करें तो, भारत 121 देशों के ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में 101 से 107वें स्थान पर खिसक गया है।अब इस सूचकांक में पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका भी भारत से आगे हो गया है। रिपोर्ट में भारत से ऊपर देश भारत की रैकिंग छह पायदान गिरकर 107 पर पहुंच गई है। उसका स्‍कोर 29.1 है। पाकिस्‍तान को इसी इंडेक्‍स में 26.1 का स्‍कोर मिला है, उसकी रैकिंग 99 है। बांग्‍लादेश का स्‍कोर 19.6 और रैंकिंग 84 है तो नेपाल का स्‍कोर 19.1 और रैंकिंग 81,वहीं म्‍यांमार को 15.6 का स्‍कोर दिया गया है। श्रीलंका का स्‍कोर 13.6 है। 

साथियों बात मगर हम इस सूचकांक को जारी करने वाली अथॉरिटी की करें तो, विभिन्‍न एनजीओ अपने-अपने पैमानों के हिसाब से इंडेक्‍स जारी करते हैं। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का हंगर इंडेक्‍स अलग से तैयार होता है। अभी जो ग्‍लोबल हंगर इंडेक्‍स आया है, उसे दो यूरोपियन एनजीओ स- ñने मिलकर जारी किया है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए डेटा संयुक्‍त राष्‍ट्र के अलावा यूनिसेफ, फूड एंड एग्रीकल्‍चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) समेत कई एजेंसियों से लिया गया है।

साथियों बात अगर हम भुखमरी सूचकांक बनाने के पैमाने की करें तो, यह इन चार पैमानों पर बनता है।पहला- अल्पपोषण, यानी खाने की सामग्री की पर्याप्त मात्रा मौजूद नहीं है। खाने के सामग्री की मौजूदगी और अल्पपोषित आबादी का हिस्सा, यानी पूरी कैलोरी शरीर में नहीं जा रही है। दूसरा-चाइल्ड वास्टिंग यानी पांच साल के उम्र से कम के बच्चे जो बुरी तरह से अल्पपोषित हैं। इसका सही मतलब ये होता है कि बच्चे अपनी हाइट के हिसाब से कितने वजनी है, अगर वजन कम है तो उसे चाइल्ड वेस्टिंग कहते हैं तीसरा- चाइल्ड स्टंटिंग यानी पांच साल से कम उम्र के वो बच्चे अपनी उम्र के हिसाब से सही हाइट हासिल नहीं कर पाए. यानी क्रोनिक अल्पपोषण की स्थिति।आखिरी-चाइल्ड मोरटिलिटी यानी पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत की दर, वह भी पोषण की कमी की वजह से, दूसरा अस्वस्थ पर्यावरण की वजह से। 

साथियों बात अगर हम देशों को इंडेक्स में स्थान मिलने की करें तो हर देश को 100 अंकों के स्केल पर नापा जाता है. अंतिम स्कोर की गणना अल्पपोषण और बाल मृत्युदर, दोनों को 33.33 फ़ीसदी अंक और चाइल्ड वेस्टिंग और चाइल्ड स्टंटिंग को 16.66 फ़ीसदी के अंक पर मापा जाता है। जिन देशों को 9.9 या उससे कम अंक मिलते हैं, उन्हें भूख की लो कैटेगरी में डाला जाता है. जिनका अंक 20 से 34.9 होता है, उन्हें सीरियस कैटेगरी में डाला जाता है. जिनका अंक 50 या उससे ऊपर होता है उसे एक्स्ट्रेमेली अलार्मिग कैटेगरी में डाल दिया जाता है। चूंकि भारत को 29.1 स्कोर मिला है. यानी यह सीरियस कैटेगरी में आता है, जबकि नेपाल को 81, पाकिस्तान को 99, श्रीलंका को 64 और बांग्लादेश को 84 अंक मिले हैं। साल 2000 में भारत का यह स्कोर 38.8 था, जो साल 2014 में घटकर 28.2 हो गया था, उसके बाद से लगातार भारत का हंगर इंडेक्स स्कोर बढ़ता जा रहा है। 

साथियों बात अगर हम भुखमरी सूचकांक में पिछड़ने की करें तो, पिछले साल सितंबर में इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जिसका नाम था ग्लोबल हंगर इंटेक्स डस नॉट रियली मेजर हंगर-इंडियन पर्सपेक्टिवभारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दुनिया में कई मामलों और इंडिकेटर्स में आगे हैं, लेकिन हर बार हंगर इंडेक्स में यह पीछे क्यों रह जाती है।जीएचआई के पैमानों की जांच करने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को कहा गया, जांच की गई, पता चला कि भूख को नापने का जीएचआईका पैमाना सही नहीं है। हर देश का अपना पैमाना होना चाहिए भूख को नापने का, क्योंकि हर देश की परिस्थितियां, पर्यावरण और खान-पान अलग है। 

साथियों बात अगर हम इस रिपोर्ट पर केंद्र प्रशासन के रिएक्शन की करें तो पीआईबी के अनुसार शासन ने कहा, जुलाई 2022 में एफएओ के साथ एफआईईएस सर्वेक्षण मॉड्यूल के आंकड़ों के आधार पर ऐसे अनुमानों का उपयोग नहीं करने का मुद्दा उठाया गया था क्योंकि इसके सांख्यिकीय आउटपुट तथ्यों पर आधारित नहीं होंगे। हालांकि इस बात का आश्वासन दिया जा रहा था कि इस मुद्दे पर और बातचीत की जाएगी, लेकिन इस तरह की तथ्यात्मक कमियों के बावजूद ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट का प्रकाशन खेदजनक है। यह सूचकांक दरअसल भुखमरी का एक गलत पैमाना है और इसमें ढेर सारी गंभीर पद्धतिपरक कमियां हैं। इस सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले चार संकेतकों में से तीन संकेतक दरअसल बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित हैं, अत: ये निश्चित रूप से पूरी आबादी के स्वास्थ्य को नहीं दर्शा सकते हैं। अल्‍पपोषित आबादी के अनुपात (पीओयू) का चौथा और सबसे महत्वपूर्ण संकेतक अनुमान दरअसल सिर्फ 3000 प्रतिभागियों के बहुत छोटे नमूने पर किए गए एक ओपिनियन पोल पर आधारित है। यह रिपोर्ट न केवल जमीनी हकीकत से अलग है, बल्कि विशेष रूप से कोविड महामारी के दौरान देश की आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को इसमें जानबूझकर नजरअंदाज किया गया है। एक आयामी दृष्टिकोण को अपनाते हुए इस रिपोर्ट में अल्‍पपोषित आबादी के अनुपात (पीओयू) के अनुमान के आधार पर भारत की रैंकिंग को कम करके 16.3 प्रतिशत पर ला दिया गया है। एफएओ का अनुमान खाद्य असुरक्षा अनुभव पैमाने (एफआईईएस) सर्वेक्षण मॉड्यूल पर आधारित है जो कि गैलअप वर्ल्ड पोल के माध्यम से आयोजित किया गया है और जो 3000 प्रतिभागियों के नमूने के साथ "8 प्रश्नों" पर आधारित ओपिनियन पोल है।एफआईईएस के माध्यम से भारत जैसे विशाल देश के लिए एक छोटे से नमूने से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग भारत के लिए पीओयू मूल्य की गणना करने के लिए किया गया है जो न केवल गलत और अनैतिक है, बल्कि यह स्पष्ट पूर्वाग्रह का भी संकेत देता है। वैश्विक भुखमरी रिपोर्ट की प्रकाशन एजेंसियों कन्सर्न वर्ल्डवाइड और वेल्ट हंगर हिल्फे ने स्पष्ट रूप से यह रिपोर्ट जारी करने से पहले अपनी ओर से बारीकी से मेहनत नहीं की है।सरकार दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम चला रही है। देश में कोविड-19 के अभूतपूर्व प्रकोप के कारण उत्पन्न आर्थिक व्यवधानों के मद्देनजर सरकार ने मार्च 2020 में लगभग 80 करोड़ राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों को अतिरिक्त मुफ्त खाद्यान्न (चावल/गेहूं) के वितरण की घोषणा की थी। ये वितरण प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के तहत प्रति माह 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति के पैमाने पर, नियमित मासिक एनएफएसए खाद्यान्न यानी उनके राशन कार्ड की नियमित पात्रता के ऊपर है।इस योजना को दिसंबर 2022 तक बढ़ा दिया गया है। 

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 में भारत का फ़िर पिछड़ना खेदजनक चिंताजनक है। भारत को वैश्विक मंचों पर भुखमरी मिटाने संबंधी चलाई जा रही योजना को प्रसारित करना समय की मांग है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2022 में भारत का छोटे देशों से पिछड़ना हैरानी, चिंताजनक खेदजनक है। हमें अपने आंकड़ों और स्थित के बल पर जागरूकता फैलाने होगी। 

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Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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