व्यंग्य
संगठित लपड़ झंडूस
घर में जो हाल पतियों का होता है l वही हाल आजकल हमारे यहाँ के छग्गू भईया और भग्गू भईया का है l छग्गू और भग्गू भईया दोनों दलित कोटे से जीतकर आये हैं l और , दोनों मंत्री बन गये हैं l लेकिन , जैसे पति को बरसात के दिनों मे़ं चाय और पकौड़े खाने का मन करता है l और बीबी घुड़क देती है l
उनकी ये हसरत सरकारी योजनाओं के शिलान्यास और फिर उदघाट्न के लिये लँबी पंचवर्षीय योजनाओं की तरह बाट जोहती रहती है l
कुछ ऐसा ही हाल हमारे छग्गू और भग्गू भैया के हैं l छग्गू और भग्गू भैया की बात अफसरान नहीं सुनते हैं l और , प्रदेश के मुखिया जी को अपनी समस्या बताने पर छग्गू और भग्गू भईया दोनों को डपट दिया जाता है l इधर ना सुनने की एक कवायद सी चल पड़ी है l
वैसे सत्ता में बैठे लोग विपक्ष की बात भी कहाँ सुन रहें हैं ? पत्नी , पति की बात नहीं सुन रही है l सेवक , मालिक की बात नहीं सुन रहा है l तो एक तरह से हमारे यहाँ की व्यवस्था बहरी हो गई है l
दरअसल ना सुनने के पीछे एक " संगठित व्यवस्था " शुरू से ही काम कर रही है l इनकी इतनी तगड़ी लाॅबिंग है कि इनकी बात अधिकारी तक मानने को विवश हैं l ये " संगठित ढाँचा "अपने लोगों के लिये काम करता है l
दूसरी जातियों को ये हीन और अकर्मण्य समझते हैं l
ये " संगठित ढाँचा " और इनके लोग दरअसल कुँठा ग्रस्त होते हैं l दूसरे हीन लोगों की तरक्की इनसे देखी नहीं जाती l और ये सफलता के रास्ते के लपड़झंडूस (डिवाइर ) कहलाते हैं l
ये तो राजनीति की बात हुई l अब खेल जगत की बात करते है l " भुखिया " एक मुक्केबाज है l लेकिन वो भी इसी तरह की राजनीति का शिकार है l बार- बार उसके कोच को हटाकर उसे मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है l लंदन में "मुक्केबाजी " की प्रतियोगिता होने वाली है l और , उसके दूसरे कोच को वापस बुला लिया गया है l " भूखिया "मुक्केबाजी पर फोकस नहीं कर पा रही है l
और कुछ रसूखदार क्रेडिट लेने में लगे हैं l कि हम बड़ा की हम बड़ा l जिस देश में पर्याप्त खेल संसाधन ना मिलते हों l लेकिन , एथलीट किसी तरह अगर देश के लिये मेडल ले भी आता है तो उसके रास्ते का रोड़ा या ब्रेकर ये तथाकथित लाबिंग बिरादरी के लोग लगा देते हैं l तब सोचिये इन महानुभावों के रहते देश कैसे मेडल ला सकता है ? राजनीति , खेल और साहित्य में ये ( संगठित लपड़झंडूस ) बहुतायत में हैं l
About author
परिचय -
नाम - महेश कुमार केशरी
जन्म -6 -11 -1982 ( बलिया, उ. प्र.)
शिक्षा - 1-विकास में श्रमिक में प्रमाण पत्र (सी. एल. डी. , इग्नू से)
2- इतिहास में स्नातक ( इग्नू से)
3- दर्शन शास्त्र में स्नातक ( विनोबा भावे वि. वि. से)
अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन - सेतु आनलाईन पत्रिका (पिटसबर्ग अमेरिका से प्रकाशित) .
राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन- वागर्थ , पाखी , कथाक्रम, कथाबिंब , विभोम - स्वर , परिंदे , गाँव के लोग , हिमप्रस्थ , किस्सा , पुरवाई, अभिदेशक, , हस्ताक्षर , मुक्तांचल , शब्दिता , संकल्य , मुद्राराक्षस उवाच , पुष्पगंधा ,
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चयन - (1 )प्रतिलिपि कथा - प्रतियोगिता 2020 में टाॅप 10 में कहानी " गिरफ्त " का चयन
(2 ) पच्छिम दिशा का लंबा इंतजार ( कविता संकलन )
जब जँगल नहीं बचेंगे ( कविता संकलन ), मुआवजा ( कहानी संकलन )
(3)संपादन - प्रभुदयाल बंजारे के कविता संकलन " उनका जुर्म " का संपादन..
(4)-( www.boltizindgi.com) वेबसाइट पर कविताओं का प्रकाशन
(5) शब्द संयोजन पत्रिका में कविता " पिता के हाथ की रेखाएँ "
का हिंदी से नेपाली भाषा में अनुवाद सुमी लोहानी जी द्वारा और " शब्द संयोजन " पत्रिका में प्रकाशन आसार-2021 अंक में.
(6) चयन - साझा काव्य संकलन " इक्कीस अलबेले कवियों की कविताएँ " में इक्कीस कविताएँ चयनित
(7) श्री सुधीर शर्मा जी द्वारा संपादित " हम बीस " लघुकथाओं के साझा लघुकथा संकलन में तीन लघुकथाएँ प्रकाशित
(8) सृजनलोक प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित और संतोष श्रेयंस द्वारा संपादित साझा कविता संकलन " मेरे पिता" में कविता प्रकाशित
(9) डेली मिलाप समाचार पत्र ( हैदराबाद से प्रकाशित) दीपावली प्रतियोगिता -2021 में " आओ मिलकर दीप जलायें " कविता पुरस्कृत
(10) शहर परिक्रमा - पत्रिका फरवरी 2022- लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा - " रावण" को प्रथम पुरस्कार
(11) कथारंग - वार्षिकी -2022-23 में कहानी " अंतिम बार "
प्रकाशित
(12)व्यंग्य वार्षिकी -2022 में व्यंग्य प्रकाशित
(13) कुछ लघुकथाओं और व्यंग्य का पंजाबी , उड़िया भाषा में अनुवाद और प्रकाशन
(14)17-07-2022 - वर्ल्ड पंजाबी टाइम्स चैनल द्वारा लिया गया साक्षात्कार
(15) पुरस्कार - सम्मान - नव साहित्य त्रिवेणी के द्वारा - अंर्तराष्ट्रीय हिंदी दिवस सम्मान -2021
संप्रति - स्वतंत्र लेखन एवं व्यवसाय
संपर्क- श्री बालाजी स्पोर्ट्स सेंटर, मेघदूत मार्केट फुसरो, बोकारो झारखंड -829144
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