अमर्यादित शब्द

 व्यंग्य –अमर्यादित शब्द

संसद में अभी एक प्रस्ताव आया है , कि हमारे माननीय " अमर्यादित शब्दों " का इस्तेमाल नहीं करेंगें l 

और , " अमर्यादित शब्द " कौन - कौन से हैं , उनकी व्याख्या भी सप्रसंग , एक किताब में की गई है l ये किताब सन् 2004 में आई थी l इसको किताब कहना उचित नहीं होगा l दर असल ये साँगो-पाँग या विश्व कोष की तरह की एक किताब है l जिसमें करीब नौ - सौ पेज हैं l सुना है हर पाँच सालों में इस किताब को छपवाकर हमारे माननीयों को बाँटा जाता है l हमारे पवित्र संसद और विधानसभाओं में जहाँ स्पीकर के साथ अभद्र व्यवहार से लेकर माननीयों का आपस में गाली - गलौज से लेकर जूतम पैजार तक की घटना सामान्य सी बात है l तो , फिर प्रश्न उठता है कि ऐसे " अमर्यादित शब्दों " के ऊपर लिखी लगभग नौ सौ पृष्ठों की भारी भरकम विश्वकोश को हमारे माननीयों को पढने के लिये देना , जनता के पैसे का दुरूपयोग नहीं तो और क्या है ? भाई साँप के आगे बीन बजाने से तो फर्क पड़ेगा l भैंस के आगे बीन बजाकर क्या होगा ? 

एक दिन हमारे अभिन्न मित्रों में से एक 

बल्लम जी हमारे यहाँ पधारे l कहने लगे यार हमारी तो दसियों किताबें और पाँडुलिपियाँ ऐसे ही पड़ी हुई हैं l पता नहीं वो कब तक छपेंगीं ? और वो हमारी वर्तमान सरकार को कोसने लगे l हमारी सरकार " अमर्यादित शब्दों " के ऊपर नौ - सौ पृष्ठों की किताबें निकाल कर हमारे माननीयों को बाँट रही है l अगर सरकार की कृपा दृष्टि हमारे ऊपर पड़ी रहती तो हमारी एक किताब जो लगभग सौ पृष्ठों की होगी l तो, इस हिसाब से एक साथ मेरी नौ पाँडुलिपियों का उद्धार हो जाता l और देश में मौजूद हजारों माननीयों को अगर जोड़ा जाये तो हमारे जैसे हजारों लेखकों की पाँडुलिपियाँ जो हर पाँच साल में प्रकाश में आने से रह जातीं हैं l वो प्रकाशित होकर बाहर आ जातीं l

अब जरा इन अमर्यादित शब्दों पर गौर कीजिये - , घड़ियाली आँसू , लाॅलीपाप और शकुनी l शकुनी अमर्यादित शब्द कैसे हो गया ? जब हर दल में ऐसे लोग भरे पड़े हैं l कभी - कभी माननीयों को एक दिन में कई - कई बार श्राद्ध कार्यक्रमों में जाना पड़ता है l तो क्या वो सचमुच में रोयेंगें ? जनता को ताउम्र वो लाॅलीपाप ही थमाते रहते हैं l फिर ये शब्द अमर्यादित शब्द कैसे हो गये ? 

इस तरह अगर देखा जाये तो हिंदी साहित्य में हर पाँच सालों में ऐसी कई महान विभूतियाँ की किताबों की पाँडुलिपियाँ आत्महत्याएँ कर लेती हैं l अगर सरकार इधर ध्यान देती तो उनका उद्धार हो जाता l इसके अलावे सरकार से मेरा एक प्रश्न ये भी है , कि हमारे माननीयों में से जो ज्यादातर अँगूठा छाप ही हैं l और जिन्होंने अपने पूरे जीवणकाल में कुछ भी मर्यादित नहीं बोला है , या लिखा - पढ़ा या किया है l उनको " अमर्यादित शब्दों " के ऊपर नौ सौ पृष्ठों की किताब थमा देना l आम आदमी के श्रम का दोहन नहीं तो और क्या है ? कभी - कभी सरकार की इन साहित्य- विरोधी नीतियों की समझ पर माथा ठोंक लेने का मन करता है l कभी - कभी मैं ये भी सोचता हूँ कि हमने जो भी लिखा वो हमेशा मर्यादा में रहकर ही लिखा l लेकिन सरकार ने हम लेखकों के लिखे " मर्यादित साहित्य " को छापने की कभी कोई योजना नहीं निकाली l ना जाने कितनी प्रतिभायें साहित्य में उजागर होते - होते रह गईं l आज इतने सालों के बाद हिंदी साहित्य में किसी को " बुकर पुरस्कार " मिला है l जिन महान साहित्यिक विभूतियों की किताबें अप्रकाशित रहने के कारण कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जैसे - नोबेल पुरस्कार आदि सम्मान पाने से वंचित रह गईं हैं l हो ना हों इसमें " आमर्यादित शब्दों " की किताब के कारण साहित्यिक किताब और लेखकों को अपूरणीय क्षति हुई है l इसलिये तरह - तरह की दुर्घटनाओं के बाद जो एक " मुआवजे " की राशि लोगों को मिलती है l साहित्य में इसे " साहित्यिक मुआवजे " का नाम दिया जाना चाहिये l और , उसे उन अप्रकाशित साहित्य - विभूतियों को हर साल दिया जाना चाहिये l 

माननीय न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेते हुए आम - आदमी के पैसों के दुरुपयोग पर सरकार के सलाहकारों और नीति- निर्माताओं को नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण माँगा जाना चाहिये l ताकि हम लेखक जो अपनी मर्यादा में रहकर मर्यादित साहित्य लिख रहें हैं l उसका उद्धार हो सके l 

About author 

Mahesh kumar Keshari

परिचय - 
नाम - महेश कुमार केशरी
जन्म -6 -11 -1982 ( बलिया, उ. प्र.) 
शिक्षा - 1-विकास में श्रमिक में प्रमाण पत्र (सी. एल. डी. , इग्नू से) 
2- इतिहास में स्नातक ( इग्नू से) 
3- दर्शन शास्त्र में स्नातक ( विनोबा भावे वि. वि. से) 

अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन - सेतु आनलाईन पत्रिका (पिटसबर्ग अमेरिका से प्रकाशित) .

राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन- वागर्थ , पाखी , कथाक्रम, कथाबिंब , विभोम - स्वर , परिंदे , गाँव के लोग , हिमप्रस्थ , किस्सा , पुरवाई, अभिदेशक, , हस्ताक्षर , मुक्तांचल , शब्दिता , संकल्य , मुद्राराक्षस उवाच , पुष्पगंधा , 
अंतिम जन , प्राची , हरिगंधा, नेपथ्य, एक नई सुबह, एक और अंतरीप , दुनिया इन दिनों , रचना उत्सव, स्पर्श , सोच - विचार, व्यंग्य - यात्रा, समय-सुरभि- अनंत, ककसार, अभिनव प्रयास, सुखनवर , समकालीन स्पंदन, साहित्य समीर दस्तक, , विश्वगाथा, स्पंदन, अनिश, साहित्य सुषमा, प्रणाम- पर्यटन , हॉटलाइन, चाणक्य वार्ता, दलित दस्तक , सुगंध, 
नवनिकष, कविकुंभ, वीणा, यथावत , हिंदुस्तानी जबान, आलोकपर्व , साहित्य सरस्वती, युद्धरत आम आदमी , सरस्वती सुमन, संगिनी,समकालीन त्रिवेणी, मधुराक्षर, प्रेरणा अंशु , तेजस, दि - अंडरलाईन,शुभ तारिक , मुस्कान एक एहसास, सुबह की धूप, आत्मदृष्टि , हाशिये की आवाज, परिवर्तन , युवा सृजन, अक्षर वार्ता , सहचर , युवा -दृष्टि , संपर्क भाषा भारती , दृष्टिपात, नव साहित्य त्रिवेणी , नवकिरण , अरण्य वाणी, अमर उजाला, पंजाब केसरी , प्रभात खबर , राँची एक्स्प्रेस , दैनिक सवेरा , लोकमत समाचार , दैनिक जनवाणी , सच बेधड़क , डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट , नेशनल एक्स्प्रेस, इंदौर समाचार , युग जागरण, शार्प- रिपोर्टर, प्रखर गूंज साहित्यनामा, कमेरी दुनिया, आश्वसत के अलावे अन्य पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित . 

 चयन - (1 )प्रतिलिपि कथा - प्रतियोगिता 2020 में टाॅप 10 में कहानी " गिरफ्त " का चयन  

(2 ) पच्छिम दिशा का लंबा इंतजार ( कविता संकलन )
जब जँगल नहीं बचेंगे ( कविता संकलन ), मुआवजा ( कहानी संकलन ) 

(3)संपादन - प्रभुदयाल बंजारे के कविता संकलन " उनका जुर्म " का संपादन..

(4)-( www.boltizindgi.com) वेबसाइट पर कविताओं का प्रकाशन

(5) शब्द संयोजन पत्रिका में कविता " पिता के हाथ की रेखाएँ "
 का हिंदी से नेपाली भाषा में अनुवाद सुमी लोहानी जी द्वारा और " शब्द संयोजन " पत्रिका में प्रकाशन आसार-2021 अंक में.

(6) चयन - साझा काव्य संकलन " इक्कीस अलबेले कवियों की कविताएँ " में इक्कीस कविताएँ चयनित

(7) श्री सुधीर शर्मा जी द्वारा संपादित " हम बीस " लघुकथाओं के साझा लघुकथा संकलन में तीन लघुकथाएँ प्रकाशित 

(8) सृजनलोक प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित और संतोष श्रेयंस द्वारा संपादित साझा कविता संकलन " मेरे पिता" में कविता प्रकाशित 

(9) डेली मिलाप समाचार पत्र ( हैदराबाद से प्रकाशित) दीपावली प्रतियोगिता -2021 में " आओ मिलकर दीप जलायें " कविता पुरस्कृत

(10) शहर परिक्रमा - पत्रिका फरवरी 2022- लघुकथा प्रतियोगिता में लघुकथा - " रावण" को प्रथम पुरस्कार

(11) कथारंग - वार्षिकी -2022-23 में कहानी " अंतिम बार " 
प्रकाशित

(12)व्यंग्य वार्षिकी -2022 में व्यंग्य प्रकाशित 

(13) कुछ लघुकथाओं और व्यंग्य का पंजाबी , उड़िया भाषा में अनुवाद और प्रकाशन 

(14)17-07-2022 - वर्ल्ड पंजाबी टाइम्स चैनल द्वारा लिया गया साक्षात्कार 

(15) पुरस्कार - सम्मान - नव साहित्य त्रिवेणी के द्वारा - अंर्तराष्ट्रीय हिंदी दिवस सम्मान -2021

संप्रति - स्वतंत्र लेखन एवं व्यवसाय
संपर्क- श्री बालाजी स्पोर्ट्स सेंटर, मेघदूत मार्केट फुसरो, बोकारो झारखंड -829144

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