यह कैसा समाज?
जितेन्द्र 'कबीर' |
हत्यारों से..
पशुओं को बचाने की खातिर
रक्षक दल हमने लिए बनाए,
मगर अफसोस
दरिंदों से..
अपनी बच्चियों को बचाने की खातिर
कोई नहीं हमने किये उपाय।
पशुओं की तस्करी के आरोपी
लोगों की जान
पीट-पीटकर लिए जाना
है बहुत से लोगों को स्वीकार्य
मगर अफसोस
बच्चियों एवं महिलाओं के साथ
बलात्कार और हत्या के
आरोपियों के खिलाफ आवाज उठाना
जरूरी न समझा जाए।
यह किस तरह का समाज
हुए जा रहे हैं हम?
जहां राजनीति में फायदे के हिसाब से
पशुओं की सुरक्षा की जाए
लेकिन इंसानों की सुरक्षा की बात
राजनीति में ही दबा दी जाए।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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