गुरूजी आओ
कब आओगे,
ले गुरु अवतार,
पूछे संसार।।
है हर पल,
गुरु बिन उदास,
तेरी है प्यास ?
रूठता नहीं,
बहारों में है यहीं,
रहते कहीं।।
तेरी याद है,
तेरी ओर है नैना,
बीतती रैना।।
संत विचारै,
वो आरती उतारे,
वाणी उचारै।।
गावै भजन,
करते सब यत्न,
यही जतन।।
गाती है साखी,
सब भक्तों ने गाई,
पार है पाई।।
आओ गुरुजी,
हमें पर्चा दिखाओ,
वाणी सुनाओ।।
करे काम सारै,
भवपार है उतारै,
दुष्ट संहारै।।
है पृथ्वीसिंह,
इंतजार में थारै,
नियम धारै।।
©
कवि पृथ्वीसिंह बैनीवाल बिश्नोई,
हॉउस नं. 313, सेक्टर 14
(श्री ओ३म विष्णु निवास) हिसार
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