गलतफहमी!
Dr. Madhvi borse |
गलतफहमी में ना जी इंसान,
जीवन कभी भी हो जाएगा वीरान,
खुदगर्जी में दूसरों को तकलीफ ना पहुंचा,
साफ रख अपना ईमान!
किसी को क्यों परेशान करें,
छोटी-छोटी बातों पर क्यों लड़े,
स्वयं का आक्रोश कभी भी दिखाएं,
क्यों ना गलतफहमी की दीवार तोड़े!
हर एक का अपना स्वाभिमान है,
सभी की अपनी पहचान है,
किसी को कमजोर ना समझ,
हम सब से यह जहान है!
गलतफहमी लाती है दरारे,
शब्द निकलते हैं कड़वे और करारे,
बाद में पछताए क्या होगा,
जब तोड़ दिए बंधन सारे के सारे!
और गलतफहमी ना रखेंगे,
हमेशा अपनों से बात करेंगे,
अपनी बातों को जाहिर करके,
सारी दूरियों को मिटा देंगे!
गलतफहमी में ना जी इंसान,
जीवन कभी भी हो जाएगा वीरान,
खुदगर्जी में दूसरों को तकलीफ ना पहुंचा,
साफ रख अपना ईमान!!
डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)
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