समस्त रक्तदान दाताओं
देख रही आज मानव सेवा चैन के जरिएएक-एक रक्त की बूंद को तरसे लोग
अपनों के जान बचाने के लिए दौड़ लगाए
कितने असहाय तड़पे लोग।।
तब देखा , समझा कितना रिश्ता किमती होता
जिन अपनों से उम्मीद लगाए वो ही बरसे लोग
सौ में से कुछ अपने आगे आए आंसूं बरसे वियोग
तब देखा कुछ अपरिचित मानव श्रृंखला को
जो लगे सेवा में और सेवा के पुण्य का करते भोग।।
एसे लोगों को कर्मवीर नाम जड़ते लोग
ये इतिहास के पन्नों पर नाम गड़ते लोग
समझो जानो मानव सेवा को सभी मिल
परमानंद मिले सेवा में जिससे झोली भरते लोग।
देश के कर्मवीर कर रहे रक्तदान
किसी को नवजीवन मिले
यही तो हे पुण्य काम।।
नि: स्वार्थ भाग रहे मिल सब
बढ़ाए पुण्य खाता अपने नाम ।।
सफल जाएगी ये सेवा जरूर
मिलेगा पुण्य नगरी का ही धाम।।
मानुष जीवन सफल है उसका
जो जीवन सेवा कर करे दूजों के नाम ।।
वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
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