हर चेहरा कुछ कहता है-भावना ठाकर

 "हर चेहरा कुछ कहता है"

हर चेहरा कुछ कहता है-भावना ठाकर

हर इंसान के मन में उठते तरंगों को प्रतिबिंबित करता आईना है चेहरा, अपनों की आवाज़ सुनकर गुनगुनाता है चेहरा तो अपनों की दूरी पर मुरझा जाता है चेहरा..

तन के भीतर भले धधकती आग छुपी हो हो उस आग पर सुकून का आबशार उड़ेलने में माहिर होता है एक सुलझा हुआ गंभीर चेहरा..

मुखौटा विहीन एक चेहरा कितनी भाषाओं को जन्म देता है कोई नहीं जानता, भाषाओं की संज्ञाओं का सार होता है चेहरा..

नखशिख उठते हर भावों का किरदार निभाता है चेहरा, तो कभी हर भाव पर पर्दा डालते सबकुछ छुपा लेता है चेहरा..यूँ कभी खुशियों का दूत तो कभी दर्द का डाकिया बन जाता है चेहरा..

असंख्य भावों की तस्वीरें टंगी होती है चेहरे के हर अंगों में,

आँखों में झाँको तो आँखें सारे राज़ खोल देती है..मन से उठते अमर्ष को तोड़ने का मारतौल होता है चेहरा..

हंसी पर विराट होते गालों की सुर्खियाँ देखी है कभी? खुशियों की फ़सलें लहलहाते कहती है मेरा हमराज़ है चेहरा..

वेदनाओं का सार, खुशियों की बारिश और अभिव्यक्तियों की ढ़ेरों व्यंजनाएं आँखों की पुतलियों पर मली होती है.. 

चेहरे की रचना कुछ यूँ बयाँ करती है भावों को.. 

भाल पर शिकन संघर्षों की गाथा कहते परिवार की चिंता को परोस रही होती है..

तो रीढ़ का बोझ बयाँ करता है झुर्रियों का झुरमुट..

लबों पर पड़ा मौन मुखरित न हो जाए कहीं उस एहसास का पहरेदार होता है चेहरा..

नासिका बड़ी नखरिली हर गंध को परख लेती है अनमने अहसासों पर नखचढ़ी कहलाती है..

हुनर होता है हर चेहरे का अपना, कुछ भी न कहते भी बहुत कुछ कह जाता है चेहरा..

गर पढ़ने की कला सीख लो तो हर चेहरे के पीछे कई गहन कहानियां छुपी होती है, सच पूछो तो इंसानों के एहसास का वर्णन करता इतिहास होता है चेहरा।

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर

تعليقات