अपनी किस्मत अपने हाथ!
जुआरी करते हैं,किस्मत की आजमाइश,
निकम्मे करते हैं,
बैठे-बैठे फरमाइश,
पर जीवन की हकीकत,
परिश्रम करने से ही होती है
पूरी, बड़ी से बड़ी ख्वाहिश!
अपने भाग्य को अपने हाथों से लिखें और यदि आपको यह पसंद नहीं है, तो इसे मिटा दें और इसे फिर से लिखें। यह जीवन का एक शक्तिशाली रहस्य है। हमारे पास इतनी क्षमता है, इतनी शक्ति है कि हम अपने भाग्य को लिख या फिर से लिख सकते हैं! आपको बस इतना जानना है कि आप अपने जीवन के साथ क्या करना चाहते हैं।
आप अपनी आत्मा से कह सकते हैं, "यह मेरी किस्मत है, यही मैं अपने जीवन के साथ करना चाहता हूं या चाहती हूं ।" लेकिन जब लोग जागरूक नहीं होते हैं, तब नकारात्मक शक्तियां आपका भाग्य बनाती हैं। इसकी अनुमति क्यों दें?
पहला कदम आप में विश्वास पैदा करना है। याद रखें, यह हमेशा किया जा सकता है। दूसरा, आप अपने ऊपर जो भरोसा कर रहे हैं, उसके साथ अपने आत्मविश्वास का निर्माण करें। जिसे आप अपने चरित्र की कमजोरी समझते हैं, उससे बचें। बिना कमजोरी के जीने की कोशिश करें।
इसका मतलब यह है कि आपके मन में, आप सोचते हैं कि एक निश्चित क्रिया करना गलत है, लेकिन आप फिर भी करते हैं। इसे द्वैत कहा जाता है। यह द्वंद्व आपको कमजोर करता है। आप जो विश्वास करते हैं उसके अनुसार जियो। हमने बचपन से नैतिक शिक्षा प्राप्त की है, साथ ही साथ हम शिक्षित भी है, हमने शिक्षा से, जीवन से बहुत से अनुभव लिए और इंसानियत के नाते, हमारे दिमाग में बहुत सारे विचार चलते रहते हैं और उनमें से हम कुछ ही करते हैं! कभी-कभी बहुत से विचार या क्रिया हमें खुशी तो देती है पर वह कुछ समय के लिए, उसे करने के बाद हमें कभी-कभी अफसोस होता है कि हमें यह नहीं करना चाहिए, तो हमें पहले से ही वह क्रिया नहीं करनी चाहिए, क्योंकि वह दुनिया की नजरों में तो बाद में पर हमारी नजरों में गलत है और वह हमें हमारी नजरों में ही गिरा देती हैं, और इस तरह से हमारी आत्मा कमजोर होती है!
जीवन आपको हमेशा अधिक ऊर्जा दे रहा है: जितना अधिक आप अपनी ताकतों का उपयोग करते हैं, उतना ही आप बढ़ते हैं!
सच तो यह है कि हमारा अहंकार बहुत सारी ऊर्जा खा जाता है: अहंकार के बिना, हम हल्का महसूस करने लगते हो।
नींद और भोजन ऊर्जा के महत्वपूर्ण स्रोत हैं, इसलिए इनका पर्याप्त मात्रा में सेवन करें।
अगर हम इन दोनों को पर्याप्त मात्रा में नहीं लेते हैं, तो हमारी सोचने समझने की शक्ति कम होने लगती है, फिर हमें दूसरे सही लगते हैं और खुद के ऊपर भरोसा नहीं रहता है!
हम सभी जीवन में कुछ ना कुछ करने के लिए आए हैं, अगर हम अपनी कोई भी किए गए क्रिया की जिम्मेदारी खुद उठाएं तो हम अपने भाग्य को और सुंदर बना सकते हैं! बहुत से लोग हर चीज को भगवान भरोसे छोड़ देते हैं! पर कहते हैं ना “हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा” पहले हमें खुद हिम्मत करनी होगी, तो खुदा भी हमारी सहायता करेंगे!
चलो इसे दो पहलुओं में समझे!
हम सभी को ईश्वर ने इंसान बनाया है, तो हम सभी में कहीं ना कहीं इंसानियत छुपी हुई है, अब अगर हम जो भी कार्य कर रहे हैं, अगर वह कार्य हमारी आत्मा को और हमें पूर्ण रूप से सही लगता है, प्रसन्न चित्त करता है और उसे करके हम बहुत ही सकारात्मक महसूस कर रहे होते हैं, तो यहां खुदा हमारी सहायता करेंगे!
पर कोई भी ऐसा कार्य, करने के बाद, हम दुखी, अफसोस, परेशान, तनावपूर्ण महसूस कर रहे होते हैं, तो इसे करने में हमारी सहायता शैतान करेगा!
यह सिर्फ समझने के लिए कुछ उदाहरण है, तो हमारी अंतरात्मा हमें जब कुछ करने को कहें, तो हमें करना चाहिए, सोचे, समझे, और उसे करें और अगर करते करते अच्छा महसूस होता है तो करते रहे!
जीवन में वर्तमान मैं जीने में अधिक भलाई है तो हमारा भविष्य का हर पल सुकून भरा होता चला जाएगा, बीते हुए कल के बारे में, सोचने से फायदा नहीं, बदल नहीं सकते! जो हमारे हाथ में उसके ऊपर कार्य करें जो बीत गया सो बीत गया!
हमें अपनी तकदीर को लिखने के लिए, स्पष्ट देखने की जरूरत है,
और किसी भी एक चीज में, कार्य में या इंसान में अपनी ज्यादा ऊर्जा देना नासमझी है!
हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि यहां सब कुछ अस्थाई है, हम भी, तो अगर हम किसी से इतना लगाव लगा रहे हैं कि वह वस्तु, वह अनुभव या जो व्यक्ति हमारे पास कल रहे ना रहे तो हमारे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है, तुम्हें रोककर सोचने की जरूरत है, जीवन में सभी चीजों में संतुलन बनाना, अत्यंत आवश्यक है!
स्वयं का भाग्य लिखने का मतलब है, स्वयं पर पूर्ण विश्वास करना और सभी कुछ पारदर्शिता के साथ देखकर आगे बढ़ना! अपने विचारों पर नजर रखें, अपनी क्रियाओं पर नजर रखें सबसे ज्यादा स्वयं पर नजर रखें, हर पल को जिए, कुछ ना कुछ करते रहे, स्वयं की तकदीर लिखने का तात्पर्य यह नहीं कि कलम उठाकर किताबों के पन्ने भरने लगे!
इसका तात्पर्य यह है कि कर्म करके अपनी जिंदगी के पन्नों को, प्रेम, खुशी, आनंद, सकारात्मकता और आत्मविश्वास से भरते चले जाएं!
यह मानते हुए कि आप अपने भाग्य को नियंत्रित करते हैं, इसका मतलब है कि आपने नियंत्रण के अपने आंतरिक नियंत्रण को पहचान लिया है। इसका मतलब है कि आप अपने विचारों और कार्यों और उनके परिणामों की जिम्मेदारी लेते हैं। ऐसा सोचकर आप अजेय बन सकते हैं। आप अपने भाग्य को नियंत्रित करना सीख सकते हैं।
अपनी तकदीर हम स्वयं लिखे,
लिखना कैसे है, उसे भी सीखें,
उम्मीद और हौसले का लिबास पहन के,
बुलंदियों को छूते हुए दिखे!
डॉ. माध्वी बोरसे!
विकासवादी लेखिका!
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