वक्त तो सबका आता है!
वक्त तो सबका आता है,
बहुत सारी मुश्किलों को भी लाता है,पर कोई बिखर जाता है,
तो कोई निखर जाता है,
कोई बिगड़ जाता है,
तो कोई सुधर जाता है,
कोई दर्द मैं रोता है,
तो कोई हंसता और हसाता है,
कोई रुक जाता है,
तो कोई चलता चला जाता है,
कोई भूत में उलझा रहता है,
कोई भविष्य बनाता है,
कोई अंधेरे में खो जाता है,
कोई सितारों की तरह जगमगाता है,
कोई नासमझ बनता है,
तो कोई समझदार बन जाता है,
कोई अपने बीते हुए वक्त को भूल नहीं पाता है,
कोई आने वाले कल के लिए योजना बनाता है,
वक्त तो सबका आता है,
बहुत सारी मुश्किलों को भी लाता है,
पर कोई बिखर जाता है,
तो कोई निखर जाता है!
डॉ. माध्वी बोरसे!
रावतभाटा (कोटा) राजस्थान !
( स्वरचित व मौलिक रचना)
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