हर क्षण की तरंग!
जिंदगी के खेल में खेलता जा,रोशनी की तरह फैलता जा,
खुद पर रख पुरा यकीन,
खिलाड़ी तू है बेहतरीन!!
आत्मविश्वास के साथ चलता जा,
पीछे ना देख,आगे बढ़ता जा,
हर कदम पर है इम्तिहान,
आसानी से नहीं पूरे होते अरमान!
हौसलों की उड़ान को भरता जा,
बेहतरीन बनके निखरता जा,
हिम्मत है तुझमे भरपूर,
नकारात्मकता को कर स्वयं से दूर!
चांद की तरह चमकता जा,
सूरज की तरह दमकता जा,
जीवन के हर पल हे अनमोल,
उड़ान भर बंद पंखों को खोल!!
डॉ. माध्वी बोरसे!
( स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)
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