एक लेखक की कलम!
चलो बनाते हैं दोस्त, परिश्रम को,
हमारे हाथों से हमेशा अच्छे कर्म हो,विश्वास हो बहुत सारा, ना कोई भ्रम हो,
सच्चाई को बयां करने वाली, हमारी कलम हो!
जिंदगी में हम मैं संयम हो,
प्रकृति से हमारा संगम हो,
चाहे कुछ ज्यादा या कम हो,
सच्चाई को बयां करने वाली, हमारी कलम हो!
सराहनीय बनाते हे हमारे जन्म को,
मानवता की भलाई के लिए हमेशा खड़े हम हो,
सच के लिए लड़ सके , हम मैं दम हो,
सच्चाई को बयां करने वाली, हमारी कलम हो!
इंसानियत ही हमारा एक धर्म हो,
सही राह पर चलने के लिए हम सक्षम हो,
कायरता, डर, घबराहट का ना कोई वहम हो
सच्चाई को बयां करने वाली, हमारी कलम हो!
कभी क्रांतिकारी, तो कभी हम विनम्र हो,
मेहनत करके कमाना ही हमारा, कर्तव्य परम हो,
चाहे कितना भी आगे बढ़ जाए, हम मैं ना अहम हो,
सच्चाई को बयां करने वाली, हमारी कलम हो!
डॉ. माध्वी बोरसे!
रावतभाटा (कोटा) राजस्थान !
( स्वरचित व मौलिक रचना)
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