नन्हीं कड़ी में....
आज की बात
अनुभव का खजाना...
हम अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं। इन कार्यो को हम पूरी मेहनत और ईमानदारी से कार्यरूप में ढालते हैं। हमें कई क्षेत्रों में कार्य करने होते हैं, जब इन कार्यों को करते हुए हमारे मन में कभी भी यह अहसास नहीं होता कि यदि हम इस कार्य में सफल नहीं हुए तो क्या होगा ? तब इसी अहसास को ही हम आत्मविश्वास कहते हैं। इस आत्मविश्वास का सबसे बड़ा कारण हमारे अंदर का अनुभव तथा जीवन में हमेशा कुछ नया सीखने की प्रबल जिज्ञासा ही है।
आत्मविश्वासी लोग जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का स्वाद अवश्य ही चखते है। ऐसे आत्मविश्वासी लोग किसी नए कार्य को करते समय किसी भी प्रकार की हिचक महसूस नहीं करते क्योंकि हमारे बड़े बुजुर्गों ने हमें बचपन से ही सिखाया है कि कोई भी कार्य छोटा नहीं होता तथा यदि हम किसी कार्य को करने में असफल भी होते हैं तब भी उस कार्य को करने का एक नया अनुभव हमें सीखने को अवश्य ही मिलेगा। वास्तव में यही अनुभव का खजाना ही एक अनमोल विरासत के रूप में सदैव हमारे साथ रहता है। आज हम यह विचार कर सकते हैं कि यदि किसी व्यक्ति ने अपने जीवन काल में जब कभी भी कुछ नया सीखने का प्रयास नहीं किया होगा अथवा उस कार्य को करने की इच्छा अपने मन में जागृत नहीं की होगी तो बिना अनुभव के उसका जीवन किस प्रकार से व्यतीत होता होगा ?
कई लोग अपने बड़ों की बंदिश को सीखने की राह का सबसे बड़ा रोड़ा समझते है और यह दोषारोपण करते रहते हैं कि बचपन से ही हम बड़े बुजुर्गों के बंधनों में रहे, इन्हीं बंधनों के कारण हम अपने जीवन में स्वतंत्र रहकर कुछ सीख नहीं पाए अथवा कुछ हासिल नहीं कर पाए। शायद ऐसे लोगों को यह एहसास नहीं होता कि हमारे बड़े बुजुर्गों की बंदिश हमें कुछ नया सीखने से रोकने के लिए नहीं होती बल्कि हमें कभी भी अपने मार्ग से भटकने से रोकने के लिए होती है। अगर कोई कहता है कि मैं अपने बड़ो की बंदिश के कारण जीवन पथ पर पिछड़ गया हूँ तो यह सिर्फ अपनी कुंठा को छिपाने का प्रयास मात्र ही होता है। शायद उन्हें भी मालूम होता है कि उन्होंने कभी भी अपने पूर्ण जीवन में नया सीखने की कोशिश ही नहीं की है तो फिर सफलता का स्वाद चखने के लिए कैसे मिलेगा ?
हमारे बुजुर्ग ज्ञानवान और दूरदर्शी हुआ करते थे,उन्हें यह भली भांति ज्ञात था कि कुछ बंदिशों अथवा नियोजन व नियमों से ही बालपन में विकास करके खुशहाली लाई जा सकती है और अपने बच्चों को सफलता के गुण सिखाए जा सकते है।उन्हें यह भी अच्छी तरह से समझ होती है कि बंदिशे जीवन में आगे बढ़ने के मार्ग में बाधाएं या रूकावट नहीं लाती अपितु बंदिशें तो सीखने की एक कला भी है।बंदिश और उचित देखभाल के बिना आज के युवा होते बच्चों को गलत संगत में पड़ कर गलत राह पर चलने का चुनाव करने में तनिक भी देर नहीं लगती।
आज एक पिता ही है जो अपने बच्चों को अपने से भी अधिक कामयाब देख कर खुश हो सकता है। इसलिए आज के आधुनिक दौर में पिता अपने पुत्र को एक मित्र का स्थान देकर हर प्रकार की आजादी दे रहे हैं। कुछ बच्चे इस आजादी को अपनी जिम्मेदारी समझकर अपने परिवार के व्यापार की तरक्की के लिए सृजनात्मक निर्णय लेकर परिवार को संपन्न करने में अपना योगदान कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर कुछ बच्चे इसी आजादी का दुरुपयोग करते हुए मिली हुई आजादी का फायदा उठाकर गलत राह पर चल पड़ते हैं।
मनुष्य के जीवन में हर क्षण एक नई परिस्थिति सामने आती रहती है। यह नई परिस्थिति हमारी इच्छा के अनुरूप भी हो सकती है और हमारी इच्छा के विपरीत भी हो सकती है ।हमें किसी भी प्रकार की परिस्थिति से घबराना नहीं चाहिए। हमारे भीतर स्थित अनुभव को प्रत्येक परिस्थिति का मुकाबला करने की शक्ति होती है। बस आवश्यकता है कि हम अपने अंदर विराजमान अनुभव की शक्ति को पहचान कर आने वाली हर एक समस्या का समाधान करने का प्रयास करें , यकीन मानिए विजय सदैव आपके अनुभव की ही होगी और संसार की कोई भी शक्ति आपको पराजित नहीं कर सकती या झुका नहीं सकती। अतः यह कहना अनुचित नहीं होगा कि...
*कभी तू हारना नहीं,*
*कभी तू झुकना नहीं,*
*कठिनाइयां तो हर राह में तुझे मिलेंगी*,
*आपका अनुभव ही कठिनाईयों का सामना करना सिखाएंगे*
एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि कोई भी समस्या हमारे अनुभव से बढ़ी नहीं हो सकती। प्रत्येक समस्या का कोई न कोई समाधान अवश्य ही होता है केवल सामने आई हुई उस समस्या को बिना किसी भय और घबराहट के उसका मुकाबला अपने अनुभव की शक्ति का उपयोग करके आना चाहिए।फिर देखिएगा किस प्रकार हमारे अनुभव की शक्ति को विजय हासिल होती है।
इसलिए आइए मित्रो, हम सभी अपने अनुभव की शक्ति को बढ़ाते रहें और जहाँ से भी कुछ नया सीखने का अवसर मिले उसे सदैव सीखकर ,अपनाकर अपने अनुभवों में चार-चाँद लगाते चलें। जीवन के पथ में हर व्यक्ति को गुरु मानिए क्योंकि हर किसी के पास अनुभव की तपती भट्टी से पाया हुआ खजाना है। क्या हमनें कभी इस अनुभव की भट्टी की तपिश महसूस की है , यदि आपका जवाब हां है तो यकीन मानिए आपकी सदैव जीत ही होगी....
तमन्ना मतलानी
गोंदिया(महाराष्ट्र)
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