अपने संस्थापक के पास लौट आई!!!
राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश पूरा हुआ
1932 के संस्थापक के पास लौटी एयर इंडिया एयरलाइन- समय का चक्र किसी की नहीं सुनता- एड किशन भावनानी
गोंदिया - समय बड़ा बलवान रे भैया समय बड़ा बलवान!!! हजारों वर्ष पूर्व से ही भारतीय सभ्यता,संस्कृति में कहावतों का बड़ा महत्व रहा है!!! अगर आज के समय का संज्ञान लें और हजारों वर्ष पूर्व की कहावतों का मूल्यांकन करें तो आज भी वे फिट बैठती है!!! वैसे ही भारत में किस्मत फैक्टर का भी बहुत महत्व है। जिसे हम आज भी अनेक अवसरों पर अनेक व्यक्तियों से इसके संबंध में सुनते देखते रहते हैं और कहते हैं इसकी किस्मत खराब है!! इसकी किस्मत जोरदार है!!!
साथियों बात अगर हम भारतीय सभ्यता,स्वभाव की करें तो कुछ अपवादों को छोड़कर भारत बहुत आध्यात्मिक और विश्वासी देश है यहां के नागरिक मृदुल स्वभावी,अतिउत्तम आध्यात्मिक हैं और मेहनत, जांबाज़ी और ज़ज्बे से हर कार्य को सफल करते हैं, हालांकि समय के चक्र और किस्मत पर भी अधिक विश्वास रखते हैं।
साथियों बात अगर हम समय के चक्र की करें तो 27 जनवरी 2022 को हुए एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश पूरा होने के अवसर की करें तो, 1932 के इसके संस्थापक प्रमुख उद्योगपति के पास आज वापस लौट आई है याने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पीआईबी के अनुसार,एयर इंडिया 69 वर्ष बाद एक बार फिर से अपने संस्थापक टाटा समूह की हो गई है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाले समूह ने घाटे में चल रही एयरलाइन का अधिग्रहण कर कई साल से इसकी बिक्री के लिए किए जा रहे असफल प्रयासों पर विराम लगा दिया है। सरकार ने दो दशकों से अधिक समय और तीन प्रयासों के बाद आखिरकार अपनी प्रमुख राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया को बेच दिया। एयर इंडिया अब अपने संस्थापक टाटा समूह के पास लौट गयी है।
उल्लेखनीय है कि पीआईबी के अनुसारएयर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश लेनदेन आज पूरा हो गया है, जिसके तहत सरकार को रणनीतिक भागीदार से 2,700 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जिसके पास एयर इंडिया और एआईएक्सएल का 15,300 रुपये का ऋण भी है और एयर इंडिया के शेयरों (एयर इंडिया और इसकी सहायक एआईएक्सएल के 100 प्रतिशत शेयर तथा एआईएसएटीएस के 50 प्रतिशत शेयर) को रणनीतिक भागीदार को हस्तांतरण किया जाना शामिल हैं।
साथियों बात अगर हम इस एयरलाइन के स्थापना की करें तो, जहांगीर रतनजी दादाभाई (जेआरडी) टाटा ने 1932 में एयरलाइन की स्थापना की और इसका नाम टाटा एयरलाइंस रखा। 1946 में टाटा संस के विमानन प्रभाग को एयर इंडिया के रूप में सूचीबद्ध किया गया था और 1948 में यूरोप के लिए उड़ान सेवाएं शुरू करने के साथ एयर इंडिया इंटरनेशनल को शुरू किया गया था। यह अंतरराष्ट्रीय सेवा भारत में पहली सार्वजनिक-निजी भागीदारी में से एक थी। जिसमें सरकार की 49 प्रतिशत, टाटा की 25 प्रतिशत और शेष हिस्सेदारी जनता की थी।
साथियों बात अगर हम वर्तमान एयर इंडिया संचालन में सुधार की उम्मीद की करें इस मौके पर टाटा संस के चेयरमैन ने कहा कि यह प्रक्रिया पूरी हो गई है। एयर इंडिया की घर वापसी से हम काफी खुश हैं। अब हमारी कोशिश इस एयरलाइन को वर्ल्ड क्लास बनाने की है। महाराजा की कमान संभालते ही टाटा ग्रुप से एयर इंडिया के संचालन में कई सुधार करने की उम्मीद की जा रही है। सबसे टाटा ग्रुप एयर इंडिया के लेट लतीफी वाले दाग को धुलेगा। टाटा को एयर इंडिया की कमान मिलने के बाद कंपनी परिचालन और सेवा मानकों में सुधार के लिए 100 दिन की योजना तैयार कर रही है।
हाल ही में, एयर इंडिया के निदेशक ने कर्मचारियों को एक ईमेल में कहा, एयर इंडिया का विनिवेश 27 जनवरी, 2022 को होने का निर्णय लिया गया है। 20 जनवरी को समापन बैलेंस शीट आज 24 जनवरी को प्रदान की जानी है ताकि टाटा इसकी समीक्षा कर सकता है और बुधवार को कोई भी बदलाव किया जा सकता है। साथियों बात अगर हम इस एयरलाइंस कंपनी के राष्ट्रीयकरण की करें तो,1953 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण किया गया और अगले चार दशक तक यह भारत के घरेलू विमानन क्षेत्र पर राज करती रही। 1994-95 में निजी कंपनियों के लिए विमानन क्षेत्र के खुलने और निजी कंपनियों द्वारा सस्ते टिकटों की पेशकश करने के साथ एयर इंडिया ने धीरे-धीरे अपनी बाजार हिस्सेदारी खोनी शुरू कर दी।
साथियों बात अगर हम इस एयरलाइंस कंपनी के निजीकरण की योजना के घटनाक्रम की करें तो,मार्च 2021 में तत्कालीन नागर विमानन मंत्री ने कहा था कोई विकल्प नहीं बचा है, हम या तो निजीकरण करेंगे या हम एयरलाइन को बंद कर देंगे। एयर इंडिया के अभी पैसा कमाने के बावजूद हमें हर दिन 20 करोड़ रुपये का नुकसान होता है। अप्रैल 2021 को सरकार ने एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोलियां आमंत्रित करनी शुरू की। बोली लगाने की अंतिम तिथि 15 सितंबर थी। सितंबर 2021 टाटा समूह, स्पाइसजेट के प्रवर्तक ने वित्तीय बोली लगाईं। आठ अक्टूबर 2021 को सरकार ने घोषणा की कि टाटा समूह ने एयर इंडिया के लिए 18,000 करोड़ रुपये की सफल बोली लगाई है। 25 अक्टूबर 2021 को सरकार ने एयर इंडिया के हस्तांतरण के लिए टाटा समूह के साथ शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर किए। 27 जनवरी 2021 को एयर इंडिया पूरी तरह टाटा समूह की हुई।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया का रणनीतिक विनिवेश पूरा हुआ है और अपने संस्थापक के पास लौट आई है तथा समय का चक्र किसी की नहीं सुनता, 1932 के संस्थापक के पास एयर इंडिया एयरलाइन फ़िर लौट आई हैं।
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