गलतियां दोहराने की सजा
देश में कोरोना की पहली लहर
हमारी सरकारों ने विदेशों से खुद ब खुद ही
बुलाई थी,
जब इतनी चेतावनियों के बावजूद
बिना पुख्ता जांच-पड़ताल के
हजारों यात्रियों की आवाजाही यहां
करवाई थी,
सिर्फ देश की सीमाएं बंद करके
रोका जा सकता था जब आसानी से
वायरस को देश में आने से,
तब देश के कर्णधारों ने दूरदर्शिता दिखाते हुए
देशव्यापी लाॅकडाउन लगाकर
जाने कितने लोगों के काम धंधों,
जाने कितने लोगों की नौकरियों,
न जाने कितने विद्यार्थियों की शिक्षा एवं
कैरियर की और
न जाने कितने लोगों की जिंदगियों की
वाट लगाई थी,
महामारी के पहले झटके से सबक लेकर
स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के बजाय
तब हमारी सरकारों ने कोरोना से जंग जीतने की
अहंकार भरी घोषणाएं करवाई थी,
उसी अहंकार के चलते
देश में कोरोना की दूसरी लहर
इतनी मारक होकर आई थी,
अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडरों, जरूरी उपकरणों
व दवाइयों की कालाबाजारी ने
बीमारी से पीड़ित जनता दर दर तभी भटकाई थी,
राजनैतिक रैलियों और धार्मिक आयोजनों की कीमत
देश के लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाकर
फिर चुकाई थी,
अब तीसरी लहर से पहले भी चुनावी रैलियां करके
फैला लिया बीमारी को अच्छे से सब जगह,
उसके बाद भीड़ पर प्रतिबंध लगाने की बात
सरकारों के संज्ञान में आई है,
यह जो लाखों की संख्या में बढ़ रहे हैं
रोज मरीज
बार - बार वही गलतियां दोहराने की सजा
हमनें पाई है।
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