आत्म संतुष्टि
जहाँ शान्ति का वास हो आत्म संतुष्टि मिलती वहाँ पर।शांत मन लक्ष्य तक पहुँचने की अमूल्य कड़ी है।लक्ष्य के जितना करीब पहुंचते जाते हैं त्यों-त्यों मन आत्म संतुष्टि से ओतप्रोत होता जाता है।
किसी अच्छे कार्य का सम्पादन भी हमें आत्म संतुष्टि से भर देता है।जिससे एक आत्म विश्वास उपजता है और मन स्फूर्ति से आगे के कार्यो को पूर्ण करने को सतत् उत्सुक और प्रयास रत्त रहता है।
जीवन में अक्सर उतार चढ़ाव आते हैं इसलिए ज्यादातर ऐसे कार्य हमें आत्म संतुष्टि से ओतप्रोत करते हैं जो पूर्णता के शिखर तक पहुँचाते हैं।
कभी परोपकार या दीन हीन के लिए किया हमारा छोटा सा प्रयास अंतःकरण को संतोष प्रद लगता है और हमें आत्मसंतुष्टि से भर देता है जो आगे भी अच्छे कार्य करने के लिए हमें मानसिक रूप से सशक्त बनाते हैं।
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