तू डोर मैं पतंग
ईश्वर के हाथों में जीवन डोर-
हम पतंग जैसे उड़ रहे।
खींचता और ढील देता विधाता
हम नाचते अंहकार में--
नचाता है विधाता।
है कठपुतली हम और.....
ईश्वर के हाथों में जीवन डोर-
हम पतंग जैसे उड़ रहे।
खींचता और ढील देता विधाता
हम नाचते अंहकार में--
नचाता है विधाता।
है कठपुतली हम और.....
पतंग की डोर थामता ईश्वर ।
जिस ओर कर्म का प्रारब्ध ले जाता---
हम बस पंतग बन उड़ान भरते।
हम बस पतंग समान बल खाते---डोर ईश संभालता।।
अनिता शर्मा झाँसी
जिस ओर कर्म का प्रारब्ध ले जाता---
हम बस पंतग बन उड़ान भरते।
हम बस पतंग समान बल खाते---डोर ईश संभालता।।
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