देश के वीर सपूतों में वीरांगना
वीरता की श्रृंखला में जुड़करप्रहरी बन आ रही है बहना
भाई हिम्मत नहीं है हारना
चल चला चल अपने पंंथ
दुश्मन के छक्के छुड़ाने हैं
जौहर दिखा रही वीरांगना
खुशहाल हुई है तेरे कारण
राष्ट्र की ये सुन्दर अंगना
सदियों से भाई जवानों तू
देश की कमान संभाली है
निकल पड़ी है देखो जहाँ में
सर पे कफन बाँध तेरी ललना
समर में कुद पड़ी है वो
पीछे मुड़कर ना देखेगी
तिरंगे में लिपट रूकसत
होगी वो।
वीरता की सिन्दुर माथे पर
सदा दमकती रहेगी
चाँद सूरज की बिन्दी से
लीलार सजती रहेगी
पहन निकल गई शहादत
की कंगना
शेरों में वीर भैया की शेरनी
वीरांगना बहना।
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com