बेनाम- डॉ इंदु कुमारी

बेनाम

बेनाम- डॉ इंदु कुमारी
अन्दर की अच्छाई
झलक दे ही जाती है

समुद्र की गहराई को
छुपाई नहीं जाती है

समझने वाले न हो
पीड़ा बताई और न

समझाई जाती है
दिल की बातें सदा

होंठों पे आ जाती है
झूठ के पेड़ उगते है

सच के सामने सदा
घुटने टेक ही देते हैं

दुखती रगों पर कोई
नमक छिड़क जाते है

अलविदा कहकर भी
जो पास आ जाते हैं

बेमुरब्बत प्यार को
जो समझ नहीं पाते है

इक ऐसे रिश्ते होते हैं
जो बेनाम कहलाते हैं।

डॉ. इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार

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