मिट्टी का कर्ज- डॉ.इन्दु कुमारी

 मिट्टी का कर्ज

मिट्टी का कर्ज- डॉ.इन्दु कुमारी
खूबसूरत है नजारा
लग रहा है प्यारा

इस मिट्टी का कर्ज है
चुकाना हमारा फर्ज  है

प्यारे गगन हमें निहारे
सिखा रहे कर्तव्य हमारे

ऊँचे हो मंतव्य हमारी
सूर्य किरणों सी सवारी

जग की तिमिर मिटाएँ
माँ अवनी को बचाएँ

मातृभूमि की सेवा कर
इन कर्जों से निजात पाएँ

माँ के प्रहरी बनकर आए
प्रेम आदर्श से धरा सजाएँ।

महकती सुगंध भरे हैं फूल
माँ की माला मोती बन जाएँ।

डॉ.इन्दु कुमारी

मधेपुरा बिहार

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