एक समय था - अनीता शर्मा

एक समय था

एक समय था - अनीता शर्मा
एक समय था--
जब साथ सभी रहते थे।

चाचा चाचाजी और बच्चे--
ताऊ ताई और बच्चे।

कितना बड़ा परिवार था-
रोज त्यौहार सा लगता था।

न कोई दोस्त की जरूरत
बस-आपस में ही खेलना-लड़ना।

रूठना-मनाना हुआ करता था।
किसी को पता भी नहीं चलता था
कौन किसका भाई बहन ?
सब आपस में मिलकर रहते थे।

कितना हो-हल्ला,चहल-पहल होती थी।
सारे मौसम घर पर ही मिलते थे।
सुख-दुख,हंसना-रोना,और लड़ना-झगड़ना।
फिर एक हो जाना ।

वो बात ही अलग थी।
एक सुकून सा था।
एक दूसरे की फिक्र भी थी।
तब था एक सबंल संबंधों का।
आज सभी अकेले अपने में।
चहल पहल गायब है।
मशीनी सी होकर रह गई है जिन्दगी

----अनिता शर्मा झाँसी
----मौलिक रचना

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