भारत की अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक विविधताएं और विशिष्टताएं हैं जिनका अपेक्षित सम्मान करके ही सरकारी कामकाज में हिंदी का उपयोग सुनिश्चित किया जाना है.
राजभाषा हिंदी का प्रयोग सरकारी कामकाज की भाषा के रूप में करने अन्य भाषाओं के अपेक्षित सम्मान, सहयोग की अपेक्षा सराहनीय पहल - एड किशन भावनानी
भारत में हिंदी को राजभाषा का सम्मान दिया गया है। वैश्विक रूप से भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष, जैविक विविधता, सामाजिक, सांस्कृतिक, विविधताओं, विशिष्टताओं, भाईचारे एवं अनेकता में एकता के लिए प्रसिद्ध है। साथियों बात अगर हम
हिंदी भाषा की करें तो, हिन्दी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। यह करीब 11वीं शताब्दी से ही
राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित रही है। उस समय भले ही राजकीय कार्य,संस्कृत फरासी, अंग्रजी में होते रहे हो परन्तु सम्पूर्ण राष्ट्र में आपसी सम्पर्क, संवाद-संचार, विचार-विमर्श, जीवन-व्यवहार का माध्यम हिन्दी ही रही है। चाहे वो पत्रकारिता का, स्वाधीनता संग्राम का, क्षेत्र क्यों न हो हर जगह हिन्दी ही जनता के विचार - विनिमय का साधन बनी है। साथियों बात अगर हम अन्य भाषाओं और उपभाषाओं की करें तो भारत में मेरा मानना है सैकड़ों उपभाषाएं भी हैं परंतु हमारे
संविधान में बावीस भाषाएं मान्यता प्राप्त है। परंतु भारत की सबसे बड़ी खूबसूरती रही है कि किसी भी पक्ष की सरकार हो परंतु सामाजिक, सांस्कृतिक, विविधताओं, भाषाओं को उतना ही सम्मान मिलता रहा है। वर्तमान समय में भी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित सभी संवैधानिक पदों पर बैठे सम्माननीयों के द्वारा हर भाषा, रीतिरिवाज को अपेक्षित सहयोग व सम्मान दिया जाना भारतीय खूबसूरती में चार चांद लगाने के बराबर है। साथियों बात अगर हम भारत में भाषाओं के विस्तार की करें तो,जैसेजैसे भाषा का विस्तार क्षेत्र बढ़ता जाता है वो भाषा उतने ही अलग अलग रूप में विकसित होना शुरू हो जाती है, यही हाल हिंदी भाषा के साथ हुआ क्योकि यह भाषा पहले केवल बोलचाल की भाषा में ही सीमित थी। उसके बाद वह साहित्यिक भाषा के क्षेत्रमें इसका विकास हुआ फिर समाचार-पत्रों में पत्रकारिता हिन्दी का विकास हुआ खेलकूद की हिन्दी बाजार की हिन्दी भी सामने आई।अत: अपने लगातार विकास के कारण स्वतन्त्रता के बाद हिन्दी, भारत की राजभाषा घोषित की गई तथा उसका प्रयोग कार्यालयों में होने लगा और एक राजभाषा का रूप विकसित हो गया। राजाभाषा भाषा के उस रूप को कहा जाता है जो राजकाज में प्रयुक्त की जाती है। स्वतंत्रता के बाद राजभाषा आयोग द्वारा यह निर्णय लिया गया कि हिन्दी को भारत की राजभाषा बनाया जाए। इस निर्णय के बाद ही संविधान ने इसे राजभाषा घोषित किया था। प्रादेशिक प्रशासन में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड राजभाषा हिन्दी का प्रयोग कर रहेहैं।साथियों बात अगर हम दिनांक 25 नवंबर 2021 को आयोजित कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की आयोजित हुई 13 वीं बैठक की करें तो पीआईबी के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि, हम मानते हैं कि सरकारी कामकाज की भाषा के रूप में हिंदी को व्यवहार और प्रयोग में लाने में हम अपेक्षित प्रगति नहीं कर पाए हैं। यकीनन यह काम बहुत आसान भी नहीं है। चूंकि आप सभी गणमान्य व्यक्ति हैं और समझते हैं कि भारत जैसे विशाल देश की अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक विविधताएं और विशिष्टताएं हैं, जिनका अपेक्षित सम्मान करते हुए ही सरकारी कामकाज में हिंदी के अधिक से अधिक उपयोग को सुनिश्चित किया जाना है। उन्होंने कहा कि हिंदी ही नहीं बल्कि हमारी सभी भारतीय भाषाएं सांस्कृतिक विविधताओं से भरे इस देशकी विराट राष्ट्रीयता में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं किन्तु अपने सरल, असाधारण विस्तार और बोलचाल एवं संचार का सशक्त माध्यम होने के नाते हिंदी पूरे देश में सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी, बोली और समझी जाने वाली भाषा है, और यही एक वजह थी जिसके चलते इसे राजभाषा का सम्मान दिया गया। उन्होंने कहा कि सरकारी कामकाज में राजभाषा का इस्तेमाल करना हमारी एक संवैधानिक जिम्मेदारी है और हमें इस जिम्मेदारी से बचना नहीं चाहिए, बल्कि अधिक से अधिक कार्य हिंदी में करके अपने को गौरवान्वित महसूस करना चाहिए। हमारा विभाग और इसके नियंत्रणाधीन कार्यालय राजभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार करने तथा राजभाषा विभाग द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रम के अनुसार अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिवद्ध हैं। उन्होने कहा कि हिंदी एक लंबे समय से देश में साहित्य, पत्रकारिता फिल्मों, ललितकलाओं विविध नाट्य रूपों तथाआम बोल -चाल का सबसे सशक्त माध्यम बन कर उभरी है और ना केवल भारत बल्कि समूचे विश्व में एक पहचान बना रही है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए ये गौरव की बात है कि आप सभी को राजभाषा के संबंध में विशिष्ट अनुभव है। इस समितिका मुख्य उद्देश्य राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग की स्थिति में निरंतर सुधार लाने के लिए मंत्रालय को सुझाव देना है। हिंदी सलाहकार समिति के पुनर्गठन के बाद यह पहली बैठक है। गतबैठक हमने 16 फरवरी, 2018 को आयोजित की थी समिति के माननीय सदस्यों द्वारा गत बैठक में दिए गए सुझावों पर विभाग ने अमल किया है। मैं आशा करता हूं कि आज की बैठक में भी जो बहुमूल्य सुझाव रखे जाएंगे उन पर अमल किए जाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत की अपनी सामाजिक,सांस्कृतिक विविधता हैं और विशेषताएं हैं जिनका अपेक्षित सम्मान करके ही सरकारी कामकाज में हिंदी का उपयोग सुनिश्चित किया जाना है। राजभाषा हिंदी का प्रयोग सरकारी कामकाज की भाषा के रूप में करने अन्य भाषाओं के अपेक्षित सम्मान सहयोग की अपेक्षा सराहनीय पहल है।
-संकलनकर्ता-
कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
महाराष्ट्र