ऐ नदी ऐ नदी
ऐ नदी ऐ नदी
कल कल करती बहती है
किनारो पर तुम्हारे जिन्दगी बसा करती है
विशाल रूप तुम्हारा दृश्य तुम्हारे अनोखे है
कही झरना कही झील हर रुप मे भा जाती हो
परिस्थितियो को देख तुम रुप दिखाया करती हो
जीवन दायनी अन्नय दायनी
चंचल सी निर्मल सी बहती रहती हो
स्त्रोत तुम हिमालय की
अन्त हो तुम समुद्र की
चन्दा नीता रावत
वाराणसी
कल कल करती बहती है
किनारो पर तुम्हारे जिन्दगी बसा करती है
विशाल रूप तुम्हारा दृश्य तुम्हारे अनोखे है
कही झरना कही झील हर रुप मे भा जाती हो
परिस्थितियो को देख तुम रुप दिखाया करती हो
जीवन दायनी अन्नय दायनी
चंचल सी निर्मल सी बहती रहती हो
स्त्रोत तुम हिमालय की
अन्त हो तुम समुद्र की
चन्दा नीता रावत
वाराणसी
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