निडर बनो-डॉ. माध्वी बोरसे

निडर बनो!

निडर बनो-डॉ. माध्वी बोरसे
चुनौतियों का सामना करते हैं,
सच्चाई के लिए लड़ते हैं,
इंसानियत पर डट कर चलते हैं
चलो निडर बनते हैं!

आंसुओं को मुस्कान में बदलते हैं,
अच्छाइयों में ढलते हैं,
हिम्मत कभी नहीं हारते हैं,
चलो निडर बनते हैं!

भ्रष्टाचार का बहिष्कार करते हैं,
गलत आदतों से लड़ते हैं,
असफलताओं से नहीं घबराते हैं,
चलो निडर बनते हैं!

आत्मविश्वास स्वयं में रखते हैं,
अवसरों को नहीं गवाते हैं,
रुके बिना, झुके बिना आगे की और बढ़ते हैं,
चलो निडर बनते हैं!

डर का सामना करते हैं,
संघर्ष करने से नहीं डरते हैं,
शिक्षा प्राप्त कर, अपने अधिकार के बारे में जानते हैं,
चलो निडर बनते हैं!!

डॉ. माध्वी बोरसे!
(स्वरचित व मौलिक रचना)
राजस्थान (रावतभाटा)


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