मैं चटख साँवरी....!!!
मैं चटख साँवरी,
श्याम रंग मेरो..!!!मैं सज के सँवर के,
जो निकलूँ ,तो क्या बात..?
मैं बड़ी खूबसूरत,
बड़ी प्यारी प्यारी,
मैं इतराऊँ इठलाऊँ,
शरमाऊँ, तो क्या बात...?
मैं नखरीली बदरी,
घटाएं सुहानी,
आँखों में काजल,
लगा लूँ, तो क्या बात..?
बैरी हवाएँ,
ऋतुओं की रानी,
पुरुआई गीतों में,
बहकूँ, तो क्या बात..?
मनमौजी घटाएं,
बारिश का पानीं,
मैं जुल्फें भिगोकर
झटक दूँ, तो क्या बात...?
मैं सन्ध्या सुहानी,
गोधूलि की बेला,
आँचल जो धानीं,
लहरा दूँ, तो क्या बात...?
मैं तारे गगन की,
नखत बन के चमकूँ
चंदा की तारिका में,
मुस्कुराऊँ, तो क्या बात...?
मैं रजनी गन्धा,
हवाएँ बसन्ती,
सरसों के फूलों में
महकूँ, तो क्या बात...?
मैं नखरीली श्यामा,
यमुना का पानी,
मोहन की मुरली में,
गाऊँ , तो क्या बात..?
मैं चटख साँवरी,
श्याम रंग मेरो,
साँवरे के रंग में,
समाऊँ, तो क्या बात..?
मैं अलबेली श्यामा,
"विजय" की सखि,
मैं साँवरे के रंग,
रंग जाऊँ, तो क्या बात...?
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com