मां भारती का लाल-हेमलता दाहिया...
"मां भारती का लाल"
था वीर पुत्र वो बलिदानी,देता दुश्मनों को ललकार.
मुख मंडल में तेज सूर्य,आंखो में ज्वाला अंगार .
रग-रग जोश उत्साह लिए,करने भारत मां का श्रृंगार.
चला मां भारती का लाल.
चला मां भारती का लाल.
मां खातिर मां को छोड़,रण भूमि में भरता हुंकार.
प्राण फूकते शब्दों से,करता हज़ारों को तैयार,
साहस,ऊर्जा,अभिमान लिए,करने भारत मां का श्रृंगार.
चला मां भारती का लाल.
चला मां भारती का लाल.
भाल पे तिलक लहू धरके,मां भारती को पुकार.
खुली आंखों में भरे,सपने करता साकार.
खुद का रचा इतिहास लिए,करने भारत मां का श्रृंगार.
चला मां भारती का लाल.
चला मां भारती का लाल.
जुबां की कहानी बन,जांबाजों की निशानी बन.
देश पे हो फिदा, सो गया रख के सर.
वीर आखिरी पहचानी लिए,करने भारत मां का श्रृंगार.
चला मां भारती का लाल.
चला मां भारती का लाल.