कविता - निगाहें
इन निग़ाहों से मोहब्बत होती हैं ।
और इनसे क़त्ल भी होता है ।।किसी के दिल में जश्न होता है ।
किसी के दिल में मातम भी होता है ।।
लोग कहते हैं अपने दिन खराब है ।
मैं मोहब्बत में हारा हूँ ये ही जवाब है ।।
मुश्किलों से तो कर लेंगें सामना ।
हो जाये दीदार अपना ये ही ख्वाब है ।।
हम करते रहे दीदार जिसका ।
उसने गम का सिला दिया है ।।
क्या सुकून पायेगा दिल उसका ।
वफ़ा को ख़ाक में मिला दिया है ।।
चेहरा छुपाके तूफानों में क्या बैठे ।
जाहिलों ने परदा समझ लिया ।
"स्वरूप" खामोश क्या बैठा।
काहिलों ने मुर्दा समझ लिया ।।
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com