अभी उम्मीद बेमानी है
अभी तक धर्म है...
उस पर मंडराते बहुत से
सच्चे - झूठे खतरे हैं,
हमारे नेताओं के पास
वोट लेने का हथियार,
जनता के हित में
फैसलों की उनसे उम्मीद
अभी तक बेमानी है
और जिस तरह से नेताओं द्वारा
प्रचारित किया जा रहा है
धर्म को मानव हित से कहीं ऊपर
लगता है कि अभी तक
आने वाले बहुत वर्षों तक इस देश में
दोहराई जाने वाली यही कहानी है।
अभी तक जातिवाद है...
दलित - सवर्ण के बीच
सामाजिक न्याय का
सदियों पुराना आपसी तनाव है,
हमारे नेताओं के पास
वोट लेने का हथियार,
लोक कल्याणकारी शासन की
उनसे उम्मीद करना
अभी तक बेमानी है
और जिस तरह से नेताओं द्वारा
जातिगत समीकरणों को
उभारा जाता है हर चुनाव में
लगता है कि अभी तक
आने वाले बहुत वर्षों तक इस देश में
दोहराई जाने वाली यही कहानी है।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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