प्यार की डोर-डॉ इंदु कुमारी

 प्यार की डोर

प्यार की डोर-डॉ इंदु कुमारी

हम सब जिनसे बँधे हुए 

वो   है  प्यार   की  डोर

वर्ना रिश्ते चटक  रहे है

बिना   किये   ही  शोर


अपनों की पहचान खो रही

जिन्दगी दुस्वार है  हो रही

देखना चाहे न कोई किसी को

अभिमान  है  आड़े  आ  रही


ईर्ष्या द्वेश को जगह मिली है

रिस्ते  पहचान  खो  है  रही

छोटी-छोटी  सी   जो   बातें

भयंकर आकार  है  ले  रही

प्यार  की  डोर में  वो  शक्ति

है  संभव  रिस्ते  जुड़  जाए

डाह अगन जो दिल से मिटे

मान लेअपनी छोटी सी भूल

खुशियों  की  होगी   इंजोर

बंध जाओगे प्यार की डोर।

डॉ.इन्दु कुमारी
            मधेपुरा बिहार

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