प्रेम हमेशा रहेगा
मजबूरियां सांसारिक हैं हमारीख़त्म हो जाएंगी देह के साथ ही,
लेकिन प्रेम अमर है आत्मा की तरह
रहेगा तब तक जब तक है जीवन
इस ब्रह्माण्ड में कहीं पर भी,
सूख कर गिर चुके पेड़ के ठूंठ से
उग आएगा यह बिना किसी के
उगाए ही,
जहां नहीं पहुंचती इंसान की दृष्टि
खिलेगा फूल बनकर वहां
बेशक चार दिनों के लिए ही सही,
बचाए रखेगा यह अपना वजूद
भीषण गर्मी में रेगिस्तान का
मरुद्यान बनकर भी,
खोज लेगा संभावनाएं जीवन की
बर्फ से लदे सुदूर ध्रुवों पर कहीं,
फूट पड़ेगा किसी के लिए
मोह बनकर
कठोर से कठोर हृदयों में भी,
प्रलय के बाद पनपता है
जिस तरह सृष्टि में जीवन कहीं,
प्रेम के लिए ही हुआ है
सृष्टि का जन्म,
ताकतवर हों चाहे जितनी भी नफरतें
प्रेम को कभी मिटा पाएंगी नहीं।
تعليقات
إرسال تعليق
boltizindagi@gmail.com