प्रधानमंत्री ( एक व्यक्तित्व )
मोदी जी पर कविता लिखना,
बहुत सरल है सरलता उनकी,
बाल काल से कर्मयोगी बन ,
चला पिता का आज्ञाकारी ।।
आज भी उनकी कर्मभूमि,
कैसा पावन कितना व्यापक ,
यश गाथा लेकर गाता जन ,
प्रधान सेवक का कर्म स्थल ।।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक बन कर,
यात्रा जिसकी शुरू हुई थी,
अविराम चली आई अब तक,
विराम नहीं जिसके जीवन में ।।
अहर्निश सेवा में तत्पर जो,
कृत संकल्प लिए अपना ,
चरैवेति चरैवेति चरैवेति ,
जिनकाअपना जीवन दर्शन ।।
भारत मां का जो जिज्ञासु ,
अभिनंदन उनका करते हैं,
धरा धाम है भारत अपनी,
वंदन सब मिल करते हैं ।।
बहुत शिकायत मोदी जी की,
उनके प्रिय पात्र कर लेते हैं ,
निंदक नियरे रख मोदी जी,
उनको हर दम आदर देते हैं।।
सब की सोच एक जैसी है,
बीवी बच्चों के लिए बताओ,
कितना संग्रह किया उसनेे ,
गिरेबान में झांक के देखो ।।
बेशर्म भले दुनिया बन जाए,
भारत का जन जन उनका है,
एक प्रश्न है सबके जेहन में,
देश को किस-किस ने लूटा है ।।
शैल शिखर हिमाच्छादित भूमि,
उत्तराखंड के कठिन मार्ग पर ,
चिंतन यात्रा पर घूम घूम कर,
जीवन जिया है मोदी जी ने ।।
देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों का,
भ्रमण करने का अनुभव उनका है,
कैसे आगे राष्ट्र बढ़ेगा इस चिंतन में,
गंभीर विचारक अपना सेवक है। ।।
उनके मार्ग का अवरोधक बनकर ,
बोलो कौन खड़ा दिखता है पथ में ,
थोड़ा मिलकर चिंतन कर लो ,
यहां जय चंदों की कमी नहीं है ।।
देश बढ़ेगा नहीं झुकेगा है विश्वास ,
यदि देशभक्त गर दूसरा दिखता है,
यदि परिवारवाद से ग्रसित नहीं है,
कर सम्मान गले में माला डाल ।।
सोचो समझो चिंतन कर लो ,
मिले नहीं तो निश्चय कर लो,
अब मोदी जैसा नहीं मिलेगा,
योगी का कर ले फिर इंतजार ।।
काव्य कला में पिरोया है मैंने,
तापस जीवन मोदी जी का ,
चिरायु भव प्रधान सेवक मेरे,
हमें चलना लेकर बहुत दूर है ।।
गणतंत्र हमारा सबल हाथ में,
देख रही है दुनिया इसको ,
लक्ष्यवेध है बहुत दूर तक ,
जय जय कार करें राष्ट्र की ।।
ज्ञान और संस्कार है अपना,
व्यक्तित्व भरा जीवन दर्शन,
विश्व में इतना आदर जिसका,
भारत भूमि का कोहिनूर है ।।
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