मिलन
हो रहा है मधुर मिलनसुदूर गगन धरा का यूँ
गोधूली की क्षितिज बेला में।
गवाह चाँद सितारे हैं
गगन ने झुक चूमा मुख
धरा का मुख सुर्ख है।
पवन घटा स्तब्ध हैं
मधुर मिलन धरा-अम्बर
वृक्ष-नदिया अपलक निहारती।
हो रहा मधुर मिलन धरा लाजवंती सी
अम्बर का धीर डोलता अधीर सा
राज समुन्दर खोलता सुदूर क्षितिज दिख रहा ।
----अनिता शर्मा झाँसी
-----मौलिक रचना
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