देशरत्न डॉ.राजेन्द्र प्रसाद विभूति सादगी के
किया सुशोभित देशऱत्न
प्रथम राष्ट्रपति के ऊँचे पदमुस्कान भरी मुखमंडल पर
अंकुरित न हो सके 'मद
वो सरल सादगी के मूरत
भारत माँ के प्यारे फूल
तिलक लगाए जमीं के धूल
सेवाभाव की महक खुब!
फिजाऔ में है फैल रही
सूरज चाँद सितारे हवाएँ
समर्पण की है गवाह बनी
स्वतंत्र भारत के ध्वज हाथ
लिये जन मन संग फहरायी
दिखा दिया सादगी की शान
दुनिया वालों कर ले पहचान
शोभा पा रही राष्ट्रीय चमन
देशरत्न तुझे शत-शत नमन।
अश्रुपूरित हुई भींगी नयन
प्रेरणास्पद रहेगी सदा जीवन।
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