वृध्द दिवस
बुढ़ापो
बुढापो तो सगलां नैं आसी ।
ओ' बुढापो तो घणो दोरो रे ।।
अंग सगळा तो उतर दे देवै।
उठणो - बैठणो घणो दोरो रे ।।
सरदी-गरमी हुवै चाहे चौमासा ।
जीवण तो जीणो घणो दोरो रे।।
छोटी-मोटी बीमारय्यां री लाचारी ।
बुढापो में तो जीणो नीं सोरो रे ।।
ओ ' बुढापो तो सगळा नै आणो ।
बुढापै सूं सीख नीं ली तो दोरो रे ।।
मां-बाप,बुजुर्गा री चाकरी करलो ।
थांरो बुढापो भी हुंवसी सोरो रे ।।
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