Vijay abhi tak apurn hai by Jitendra Kabir

 विजय अभी तक अपूर्ण है

Vijay abhi tak apurn hai by Jitendra Kabir


हजारों वर्ष पूर्व

भगवान राम की पापी रावण को

मारकर प्राप्त की गई

विजय अभी तक अपूर्ण है,

उसकी याद में साल दर साल

मनाया जाने वाला 

यह जश्न एक दिखावा भर है,


दूध पीती मासूम बच्चियों से लेकर

वृद्ध स्त्रियों तक को जिस देश में

आज भी आए दिन 

बलात्कार का शिकार होना पड़ता हो,


हजारों नाबालिग बच्चियों को

जहां हर साल धकेल दिया जाता हो

देह की मंडियों में रोजाना बोली

लगाए जाने के लिए,


'मैरिटल रेप' के बारे में

जहां का कानून अब तक 

औपनिवेशिक मानसिकता से

आगे न बढ़ पाया हो,


अपनी बेटियों को पढ़ाई और

नौकरी करने के लिए 

बाहर भेजने से पहले मां-बाप को

जहां सौ बार उसकी सुरक्षा के बारे में

सोचना पड़े,


उस देश में सिर्फ एक देवी सीता के

अपहरण के दोषी 

रावण की मौत का जश्न,

बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न,

असत्य पर सत्य की जीत का जश्न,

बुरी नीयत पर अच्छी नीयत 

की जीत का जश्न

सब कुछ अधूरा है और तब तक रहेगा

जब तक इस देश का हर पुरुष

इस देश की हर एक स्त्री को 

सम्मान की नजर से नहीं देखता।


                              जितेन्द्र 'कबीर'
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति- अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314

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