सबके अपने गांधी
गांधी, तुम किसके हो?
उनके हो,
जो तुम्हारे नाम पर बड़ी-बड़ी
योजनाएं चलाते हैं,
दिखावे के लिए।
तुम्हारी बदनामी भी
सबसे ज्यादा वही करवाते हैं,
मीडिया में झूठी कहानियां फैलाकर,
तेरे हत्यारे का महिमा मंडन करके,
तेरे दर्शन की हत्या करके,
जिनकी विचारधारा में ही तुम्हारे
सिद्धांतों से खिलाफत है,
वो ही तुम्हें मुखौटा बनाए
बैठे हैं,
जानते हो क्यों ?
क्योंकि उनके लिए
" मजबूरी का नाम महात्मा गांधी है "
उन्होंने जो गढ़कर हीरो बनाए हैं अपने
जानता कौन है उन्हें देश से बाहर,
अब हर जगह तो मीडिया बिकाऊ नहीं
इसलिए उन्हें कोई जानता नहीं।
या फिर उनके हो?
जो अवसर देख ओढ़ लेते हैं
तुम्हारे सिद्धांतो का चोला,
मगर मतलब निकलते ही
आ जाते हैं अपने रंग में
वस्तुत: तुम हम सबके हो
अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से
हम कर लेते हैं तुम्हारा इस्तेमाल,
इतने व्यापक प्रभाव वाली शख्सियत
हमारे पास दूसरी नहीं।
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