पहले से भी ज्यादा
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा देकर
सरकार बनाने वाले लोग
जब खुद ही लिप्त रहें सारा समय
जोड़ तोड़ से
दूसरे दलों के विधायक व सांसदों की
खरीद फरोख्त में,
फिर मिटना कहां से था भ्रष्टाचार
वो तो पहले से भी ज्यादा
फलने-फूलने लगा है।
कानून के राज का नारा देकर
सरकार बनाने वाले लोग
जब खुद ही लिप्त रहें सारा समय
अपने कारनामों से
कानून और संविधान की
नींव कमजोर करने में,
फिर होना कहां से था कानून का राज
वो तो सत्तारूढ़ दलों के हाथों में
कठपुतली बन नाचने लगा है।
अखण्ड भारत का नारा देकर
सरकार बनाने वाले लोग
जब खुद ही लिप्त रहें सारा समय
धर्म व जाति आधारित भेदभाव को
बढ़ावा देने में,
फिर होना कैसे था अखण्ड भारत का
स्वप्न साकार,
अब तो पहले से भी ज्यादा यहां
नफरत और हिंसा का दानव
अपने पांव पसारने लगा है।
تعليقات
إرسال تعليق
boltizindagi@gmail.com