Nari kitni aatmnirbhar hai by Jitendra Kabir

 नारी कितनी आत्मनिर्भर हैं?

Nari kitni aatmnirbhar hai by Jitendra Kabir


खुद के कमाए पैसे

खर्च करने के लिए भी

बहुत बार अपने पति 

व घरवालों की इजाज़त पर

निर्भर है।


खुद के रिश्तेदारों से

मिलने जाने के लिए भी

बहुत बार अपने पति

व घरवालों की इजाज़त पर

निर्भर है।


खुद के दोस्तों के साथ

कभी-कभार थोड़ा समय 

बिताने के लिए भी

बहुत बार अपनें पति

व घरवालों की इजाज़त पर

निर्भर है।


खुद के ही घर में

रहने के लिए भी

बहुत बार अपने पति

व घरवालों की इजाजत पर

निर्भर है।


हे नारी!!

प्रगति व आधुनिकता के 

इस दौर में

आज भी तू कितनी

आत्मनिर्भर है?


               जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314

Comments