हृदय के चाँद
मेरे चाँद उर (हृदय)में रहते है
वही तो मेरा सहारा है।
वो नहीं तो कुछ भी नहीं
ना जीने का इरादा है।
सजती हूँ संवरती हूँ
क्रीड़ा कौतुक करती हूँ
उसके बिना कुछ भी नही
जीवन अधुरा लगता है
जनम-जनम का साथी है
जीवन की पतवार है वो
वही तो जीवन के खेबैया
वही तो मेरा प्यार है
मेरा चाँद थोड़ा अकड़ू है
पर दिल के सच्चे अच्छे है
व्रती बनी हूँ जीवन भर की
पलकों पे बिठाकर रखी हूँ।
मेरे चाँद उर में रहते हैं
वही तो मेरा सहारा है।
डॉ.इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार
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