गुजरात में नौ रातें
हमारा देश ताहेवारों का देश हैं ,तहवार चाहे हो ,सामाजिक हो या धार्मिक हो हम देशवासी उन्हे अति उत्साह और भाव से मनाते हैं।कई छोटे छोटे तहेवार सभी प्रांत में आते हैं लेकिन ज्यादा उत्साह से हम नौ रात्र और दिवाली ही मानते हैं।पूरे भारत वर्ष में उस्ताव प्रिय गुजरात को ’गरवी गुजरात’ भी कहते हैं।
खास करके गुजरात में नौरात्रियों का ज्यादा महत्व हैं जैसे बंगाल में दुर्गा पूजा वैसे पूरे देश में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती हैं।
खूब पूजा –अर्चना और रात को गरबे करतें हैं जिसमे माताजी की मूरत या फोटो की स्थापना करके,उसके आसपास गोल घूमके मातारानी के गुण गाते हुए नृत्य करते हैं ।पहले खाली गली मोहल्लों में ही इनका आयोजन होता था किंतु आजकल पार्टी प्लॉट और क्लबों में भी आयोजन होता हैं।
मां को रिझाने के लिये कोई मातारानी ,कोई कहता हैं हम भी आए हैं,साथ भोग लगाया हैं,और अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए बहुत बिनती कर अपने घर बुलाते हैं।”तालियां बजाओ सारे तालियां बजाओं सारे तालियां बाजाओं,खुशियां मनाओं सारे खुशियां मनाओ मेरी मां ने आना”ऐसे गा के मातारानी का आह्वाहन करते हैं।और साथ में हसीं मजाक वाला "सनेडो" जो गुजरात की खास अभिव्यक्ति हैं,बहुत ही लोकप्रिय हैं।युवान– युवतियां और बच्चे डीजे जो बजा रहे हैं उसी तन पर खूब नाचतें हैं।एक बार सब को ही इस का आनंद लेना ही चाहिए।साथ में रोज ही नाश्तों का भी इंतजाम होता हैं।और ९मीं के दिन माता रानी का उद्यापन कर विदा कर देते हैं।और अगले बरस नौरातें आए उसीकी आशा से दशहरे के दिन फाफड़ा जलेबी खाने की तैयारी कर देते हैं।
हमारी सोसायटी में भी यही भव्य आयोजन हुआ और सभी भक्तों ने मातारानी की श्रद्धा पूर्वक आरती कर आराधना की।जय मातारानी की।
जयश्री बिरमी
अहमदाबाद
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