शीर्षक-बापू और लाल
आज ही इस धर -धामपर
दो विभूतियों ने ले अवतार
दो अक्टूबर को कर सार्थक
राष्ट्र प्रेम पे किया जां निसार
स्वतंत्रता के दीप जलाने
गुलामी के अंधकार मिटाने
छोटे कद-काठी होने पर भी
चट्टानों से लाल अड़े रहे
हाथ में लाठी लेकर बापू
राष्ट्र के आगे खड़े रहे
सत्य अहिंसा पाठ पढ़ाने
अंग्रेजों को सबक सिखाने
बुनियादी शिक्षा को जीवन
हिस्सा बना किया नव संचार
युग पुरूष की यश कीर्ति के
पताका फहर रहे सारा संसार
आहूति देकर राष्ट्रीय जागृति
शंखनाद किया भारत के लाल ।
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