Bahte rahte nayan by Shyam sunder tiwari

  गीत 
बहते रहते नयन

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Bahte rahte nayan by Shyam sunder tiwari


बहते रहते नयन

गाँव की नदिया सूखी है।।

बिलो रहे नवनीत

उन्हीं की रोटी रूखी है ।।

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पग पग पर पानी था 

अब वह धरती है बन्जर ।

पक्के डेरे बना रहे हैं

फिर काले विषधर ।

दाना सानी खाने वाली

गैया भूखी है ।।

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उनकी लाठी उनकी भैंसें

उनकी ही घुड़साल ।

उनकी आँखें ओढ़े बैठीं 

हरा रँगीला शाल ।

उनके खेतों में ही उगती

सूरजमुखी है ।।

🌹🌹

दिन बदले मौसम बदले हैं 

बदल रहा है देश ।

लेकिन हम सत्तर सालों में

बदल सके ना भेष ।

बाबा के मुख पर चिन्ता है

अम्मा दुःखी है ।।

🌹🌹

बहते रहते नयन

गाँव की नदियां सूखी है ।।

🌹🌹

©श्याम सुंदर तिवारी

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