वर्तमान गुजरात का राजकारण
एक ही रात में गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान रुपाणी का राजत्याग करना थोड़ा आश्चर्यजनक था किंतु पूरी कैबिनेट बदल देना और भी आश्चर्य चकित करने वाला था।सब स,,,लामत दिखने वाली सरकार को ,बल्ब की जहेरखबर जैसे,सारे घर के बदल डालो वाला रवैया दिखाई दिया।इसकी जड़ें पाटीदार समाज के नेताओं के अल्टीमेटम को माना जाता हैं।पाटीदार समाज और बीजेपी के बीच की दूरी पाटने का शायद यही इलाज था।
और दूसरे दिन सभी समाचार माध्यमों में अटकलें लगी,जिसमे नितिन पटेल और प्रफुल्ल पटेल दिनों के नाम पर अटकलें थी ।किंतु कैट आउट ऑफ हैट कुछ अलग ही निकली।जब तक भूपेंद्र पटेल का नाम सामने नहीं आया था बहुत रहस्य मंडराते रहे राजकीय और समाचार माध्यमों में।और जब भूपेंद्र पटेल का नाम आया तो सभी को एक धक्का सा लगा सिर्फ १० साल के राजकीय सफर में मुख्य मंत्री की कुर्सी फतेह करना थोड़ा अजीब लगा था सब को।विजय रुपाणी सरकार के २२ मंत्रियों को सामूहिक रुखसद दे, २४ नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण पतझड़ के बाद बसंत सा लग रहा था एकदम ताजगी पूर्ण ,अब मंत्री पद के लिए सीनियर होने से ज्यादा कर्तव्यबद्ध रहने वाला गूढ़ संदेश लिखा दिखता हैं। महिलाओं को भी स्थान मिला और सभी जाति के नेताओं को भी समाविष्ट किया गया।जिसमे ८ पटेल और ६ ओबीसी मंत्री भी शामिल है।कांग्रेस से आए राजधर्म परिवर्तित मंत्रियों की भी छुट्टी हो गई।ये अगले चुनाव के उपलक्ष में किए गए बदलाव हैं जिसका परिणाम तो चुनावों के बाद ही पता चलेगा।
ये शायद कोविड की दूसरी लहर में हुए प्रबंधन की त्रुटियों की वजह से भी हो सकता हैं क्योंकि यही अफवाह योगीजी के बारे में भी बहुत जोरों पर थी किंतु लगता हैं योगीजी ने संभाल लिया था परिस्थितियों को जो रूपाणिजी नहीं संभाल सके थोड़े ढीले साबित हुए।वैसे रुपाणी का कार्यकाल कुछ ज्यादा खराब या बहुत अच्छा भी नहीं रहा।उनकी कार्यवाही से गुजरात में वैक्सीनेशन जिस गति से और प्रबंधन से हुआ ये सराहनीय है।
जब ये समाचार मिले तो बीजेपी के सभी मंत्री और अग्रणियों की बैठक रुपाणी के घर थी जो जगराते जैसी लगती थी।सब न नाराजगी जताई और दिल्ली तक उसके प्रतिघात हुए किंतु अटल निर्णय वाले शीर्ष नेताओं के निर्णय को टाल नहीं सके और शपथ समारोह कई अटकलों के साथ पूरा हो गया। इतनी शीघ्रता से हुए बदलावों और नाराजगी के बावजूद बीजेपी सदस्यों ने शिस्त का परिचय दिया हैं,पंजाब कांग्रेस में हो रहे कुत्ते बिल्लियों की लड़ाई और जग हंसाई के जैसे कोई किस्से सामने नहीं आए ये बात बीजेपी दल की परिपक्वता का परिचय करवाती हैं। आचार्य देवव्रत ने भूपेंद्र पटेल और उनके मंत्री मंडल को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
गुजरात के युवा बीजेपी में हर्ष की लहर चली हैं,पुराने ढर्रे से हट नए और युवा चेहरों को शीर्ष पदों पर मौके मिलने की शक्यताएं बढ़ी हैं।ये परिस्थिति कार्य कर्ताओं में जोश और कर्तव्यबद्ध बनाने में मददरूप हो सकती हैं।
रुपाणी के जाने और नए आए चहरों से नागरिकों में भी उत्साह और परिवर्तन आया हैं एक आशा बंधी हैं नई सरकार की कार्य प्रणाली को ले कर।आगामी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें पाने की गिनती के अंतर्गत ये पहला कदम दिखता हैं।अगर बीजेपी के जो कैलकुलेशंस हैं वह सही बैठे तो गुजरात में बीजेपी का गढ़ सही सलामत रहने में कोई भी दिक्कत नहीं आ पायेगी। भूपेंद्र पटेल के बारे में एक बात कही जाती हैं,वे २०\२० के खिलाड़ियों जैसी बैटिंग करने में माहिर हैं जिससे सांयोगिक निर्णय लेने में त्वारा दिखेगी।और युवा मंत्रियों के साथ सामंज्यस से काम करने में आसानी रहेगी। अब जो भविष्य के गर्भ ने हैं वो तो आनेवाला समय ही बताएगा।
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