Shipra ke kinare by Dr. H.K. Mishra

 शिप्रा के किनारे

Shipra ke kinare by Dr. H.K. Mishra


महाकाल के प्रांगण में जब ,

हम दोनों चलकर आए थे ,

दर्शन पूजन कर शिव का ,

शिप्रा तट पर चल आए थे  ।।


महाकाल की महिमा सारी ,

नगरी पर आच्छादित थी ,

शिप्रा अपनी गोदी में ले ,

सरल स्वच्छ प्रवाहित थी ।।


कहता मेरा अपना दर्शन ,

कालिदास की प्रणय कथा ,

शिप्रा संग  प्रवाहित  है ,

यही उज्जैन शिव नगरी है ।।


कालिदास का मेघदूत है ,

लेकर आया प्रणय संदेश ,

उज्जैन नगर पर मेघा छाया,

शिव दर्शन को आतुर है।  ।।


कितना अच्छा सौभाग्य तुम्हारा,

प्रणय कथा से आप्लावित हो ,

चल कर आया शैल शिखर पर,

मेघा को विराम  मिला  है  ।।


नूतन नूतन कवि गीतों को ,

गाने का सौभाग्य मिला है ,

गा मेघा ऊंचे स्वर में कुछ,

मुझको भी आह्लाद मिला है ।।


सुन मेघा जाना है तुझको,

पावन पथ पर गबन तुम्हारा,

विरह  कांता से  मिलना है ,

संदेशा कवि का भी देना है  ।।


सफल बहुत हो यात्रा तेरी ,

युगल प्रणय संयोग निभाना,

प्रणय हृदय के विशेष दूत हो,

साहित्य सरिता का  संगम हो।।


तुम पर है अभिमान हमारा,

हर लेना  संताप सभी  का,

निर्मल निश्छल मेघा तेरा ,

प्रणय ह्रदय मनुहार तुम्हीं ।।


पावन तेरी रिमझिम वर्षा ,

हरने को मनुताप मिला है,

संदेश हमारा देना जाकर ,

मेरी प्रिया वियोग पड़ी है ।।


मिलने को मेरा मन आतुर,

विरह प्रेम में कैसी होगी ,

आ कर देना संदेश शीघ्र ही,

नभ पर  तेरा ही शासन है  ।।


मेघदूत तुम कालिदास के ,

हर विरही के मन भावन ,

विरही मन शांत नहीं रहता,

करना पावन जीवन अर्पण ।।


शिप्रा तट पर मेरी कुटिया ,

पुन: मिलेंगे  इस  तट पर ,

हम कर लेंगे प्रतीक्षा तेरी ,

पावन जल अर्पण तुझको।।


मौलिक 
                  डॉ हरे कृष्ण मिश्र
                   बोकारो स्टील सिटी
                      झारखंड ।

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