सकारात्मक ऊर्जा*
हे मानुष तू न हो निराश।
कर्म पथ पर बढ़ता चल
राह कठिन एकाकी होगी
पर दायित्व संभाले बढ़ ।
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भर ले अपने भीतर ऊर्जा
ऊर्ध्व सकारात्मक ऊर्जा
पग-पग धीरज धर बढ़ना
कर्मठता जीवन में भरना
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राहें जो अनजानी सी थी
दृढ़ संकल्प संग बढ़ना।
निश्चित निर्णय समय से लेकर स्वयं ऊर्जावान रहना।
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सहज-सरल विचारों की
कड़िया संजोए रखना।
ऊर्जा भर कर्म किये जा
जीवन निष्पक्ष निष्काम
सकारात्मक ऊर्जा अंतस में ।
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कर्मयोगी तू इस संसार में
सतत् परिश्रम खूब किये जा।
जीवन के हरेक पड़ाव में।
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सकारात्मक ऊर्जा अंतस में रखकर।
निकल पड़ो जगत की राहों पर।
ओत-प्रोत हो दिव्य शक्ति से,
जीवन दिव्यता से भर दो।।
-----अनिता शर्मा झाँसी
------मौलिक रचना
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