निष्काम कर्म
हम कर्म करें निषकर्म भाव से।
हो सेवा निष्कर्म भावों की।
न अपेक्षा रखे किसी से।
न उपेक्षित भाव मिले।
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हो कर्म अपना मेहनत हो पूर्ण।
शान्ति मनो में हो और विश्वास प्रबल हो।
सहृदयी हृदय से निष्कर्म सेवा।
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है जान तन में कर्मठ रहेंगे।
जीवन को अपने सार्थक करेंगे।
रहे सांस तन में निष्कर्म निष्ठा रहेगी।
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संस्कार अपने सार्थक करेंगे।
हस्तान्तरित निष्कर्म निष्ठा करेंगे।
देगें भावी पीढ़ी को शिक्षा यही।
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निष्ठा,परोपकार और निष्पक्ष सेवा।
कर्म का प्रारब्ध भविष्य उज्जवल बनेगा।
सत्कर्मों की ओर जाग्रत करगे।।
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-----'अनिता शर्मा झाँसी
----'मौलिक रचना
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