मुश्किल डगर है
एक तो सच्चाई के पथ पर
चलना दुश्वार होता है
ऊपर से बुराई का आकर्षण
भी दुर्निवार होता है,
अकेले ही चलना पड़ता है
इस मुश्किल डगर पर
जबकि बुराई के प्रोत्साहन को
हर यार तैयार होता है,
विषय-विकारों से बचे रहना
कहां आसान होता है
ऊपर से हमारे आसपास ही
बहकाने का सामान होता है,
नित्य नये प्रलोभनों से खुद को
जो बचाता चला जाए
वही इंसान ही तो सही अर्थों में
महान इंसान होता है।
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