Jungle, vastavikta he jiski khoobsurati hai
जंगल स्वतंत्रता का एक अद्वितीय उदाहरण है, जहां कोई नियम नहीं , जिसकी पहली शर्त केवल स्वतंत्रता है
जंगल , प्रकृति का एक खूबसूरत उपहार है जो जैसा है वो बिलकुल वैसा है कोई आवरण नहीं। वास्तविकता ही जिसकी खूबसूरती है।
जहां हर वृक्ष कहता है अपनी कहानी, रहता है अपनी मौज में , जहां श्रेष्ठता की कोई प्रतिद्वंदता नहीं , किसी को किसी से आगे जाने की कोई चिंता नहीं
जहां हर पंछी गाते है अपना गीत , रहते है अपनी धुन में ,
जंगल जो संसाधनों से भरा पड़ा है , परन्तु जंगल के वासियों की कोई इच्छा नहीं , जहां बस जरूरतों को ही इच्छा समझा जाता है ।
कितने खूबसूरत होते है ये जंगल !
जंगल जीवंत है जहां कोई भेदभाव नहीं , जहां सब कुछ स्वतन्त्रता ही हैं।
अब दुनिया में ये जंगल कम होते जा रहे है लोग जंगल को नियमों में बांध के सुंदर उपवन बनाने में लगे है , लोग जंगल को आवरण दे रहे बिलकुल अपनी तरह बनाने में लगे है ,
जैसे ही इन जंगलों को नियमों में बांधा जाता है ये जंगल फिर जंगल नही रह जाते ये सुंदर कृत्रिम उपवन। बन जाते है , परतंत्र , बेजान , बनावटी ।
फिर कहीं खो जाती है इनकी स्वतंत्रता , अल्हड़पन , और वास्तविकता। जो बाहर से तो सुंदर परन्तु अंदर से खोखले होते है बिलकुल इंसानों की तरह।
फिर होता है भेदभाव , चुना जाता है उन सुंदर पुष्पों को , उन छायादार वृक्षों को ,जो मात्र इंसानी आंखो को प्यारे है और कर दिया जाता है दरकिनार उन मासूम वृक्षों व पुष्पों को जो शायद इंसानी आंखो को मोहक नहीं लगते , लेकिन कोई नही करता विरोध सब बनावटी स्वतंत्रता का ढोंग रचते हैं।
अब हर तरफ अधिकांश सुंदर कृत्रिम उपवन ही दिखते है बिलकुल उसी तरह जैसे आज कल अधिकांश बेजान, बोझिल मनुष्य ही दिखते है।
जंगल को सीमाओं में बांधना यानी जंगल को सीमित करना है अर्थात उसकी स्वतंत्रता को खत्म करना है जो सीमित है वो सुंदर कैसे हो सकता है , वहां तो घुटन है, स्वतंत्रता ही जंगल की खूबसूरती है इस प्रकृति ने सबको स्वतंत्रता दी है तो हम मनुष्य क्यों खुद को और जंगलों को सीमाओं में बांध रहे , क्या सच में मनुष्य को बनावटी आवरण , स्वतन्त्रता से अधिक प्रिय है ?
Read it English
The jungle is a unique example of freedom, where there are no rules, the first condition of which is freedom only.
The forest is a beautiful gift of nature, just like it is, there is no cover. The reality is the beauty of it.
Where every tree tells its story, lives in its fun, where there is no rivalry for superiority, no one worries about going ahead of anyone.
Where every bird sings its song, lives in its own tune,
The forest which is full of resources, but the people of the forest have no desire, where only the needs are considered as desire.
How beautiful are these forest!
The forest is vibrant where there is no discrimination, where everything is free.
Now these forests are becoming less in the world, people are engaged in making the forest a beautiful garden of the dam in the rules, people are covering the forest in their own way,
As soon as these forests are tied in the rules, these forests are no longer forests, these beautiful artificial groves. They are made, paratantra, lifeless, artificial.
Then their freedom, thoughtlessness, and reality are lost somewhere. Which are beautiful from outside but hollow from inside just like humans.
Then there is discrimination, those beautiful flowers are chosen, those shady trees, which are dear only to the human eyes and are ignored, except those innocent trees and flowers which might not seem attractive to the human eye, but no one does. Protests all pretend to be artificial freedom.
Now most beautiful artificial gardens are seen everywhere, just like most of the lifeless, cumbersome people nowadays.
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