Dekha hai maine by komal Mishra`koyal

  देखा है मैंने

Dekha hai maine by komal Mishra`koyal


देखा है मैंने घरों में,कैद होती आवाजें,

गुम होती खुशियाँ,उदास होते चेहरे। 

पीले पड़ते होंठ, दम तोड़ती उम्मीदें।। 


सब कुछ तो देखा है ,और समझा भी है जरा-जरा। 

अपनी माँ की आँखों से,कोई कतरा गिरा-गिरा।। 

छीन कर हाथों से किताबें,चूड़ियाँ पहनाई जाती हैं, 

मतलब भी ना समझे पर,शादियां कराई जाती हैं।। 


रिवाज के नाम पर, बेड़ियाँ पहनाई जाती हैं। 

अना कि खातिर औरतें, बलि चढाई जाती हैं।। 

बुझा कर दीपक अंधेरे में, हर बार सताई जाती हैं। 

पर खोल दे गर ज़ुबाँ कभी तो, बेहया कहलाती हैं।।

                            नाम- कोमल मिश्रा "कोयल"

                             शहर - प्रयागराज

Comments