बेटियाँ जग की लाडली
जग की आधी आबादी
कहलाती है बेटियाँ
हर घर की रौनक है
घरों को सजाती बेटियाँ
माँ बन ममता लुटाती है
भार्या बन बरसाती प्यार
दादी बन सीख हमें देतीं
मिल जुलकर भरा परिवार
नन्हीं परियाँ बनकर आती
गौरी लक्ष्मीभवानी कहलाती
सरस्वती घर की शोभा पाती
लक्ष्मीबाई बन कर टकराती
सैर करती अंतरिक्ष में वो
राष्ट्र की शान बढ़ाती है
जहाँ नहीं है बेटियाँ
मुरझाई घर की बगिया
बाधा नहीं चढ़े चोटियाँ
झंडा फहराती बेटियाँ
हर माँ बाप रोके रास्ता
इन्दु ना लिखती पंक्तियाँ
जग की लाडली बेटियाँ
स्व रचित
डॉ.इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार
تعليقات
إرسال تعليق
boltizindagi@gmail.com